यहाँ 3 भाषाओ में Dukh Bhanjani Sahib Path PDF डाउनलोड करने की सुविधा दी है। जिसमे मुख्य पंजाबी, हिंदी और इंग्लिश भाषा शामिल है। साथ ही लिखित में संपूर्ण लिरिक्स को भी दर्शाया है।
दुःख भंजन शब्द का सरल अर्थ “दुख का नाश” होता है। यह एक प्रचलित सिख गुरुबाणी है, जो गुरु अर्जन देवजी की रचना का हिस्सा है। अधिकांश लोग इसे दुःख निवारण और शांति के लिए पढ़ना पसंद करते है।
Dukh Bhanjani Sahib Path PDF
जीवन में आने वाले सभी प्रकार के दुखो से छुटकारा पाने के लिए दुख भंजनी साहिब का पाठ करना लाभदायी है। इसमें गुरु अर्जन देवजी ने सुख-शांति पाने और दुखों से मुक्ति के लिए शक्तिशाली शब्दों का संग्रह किया है।
यहाँ सर्वप्रथम जानकारी के साथ PDF Download करने की लिंक्स दी है। फिर संपूर्ण दुख भंजनी साहिब का लिखित एंव लिरिक्स रूप बताया है।
(1) Dukh Bhanjani Sahib Path PDF In Hindi
PDF Name | Dukh Bhanjani Sahib |
Total Pages | 9 |
PDF Size | 132 KB |
File Maker | Beinghindi |
Language | Hindi |
Provider | Sabsastaa |
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गउड़ी महला ५ मांझ ॥
दुख भंजनु तेरा नामु जी दुख भंजनु तेरा नामु ॥ आठ पहर आराधीऐ पूरन सतिगुर ग्यानु ॥ १ ॥
रहाउ ॥
जितु घटि वसै पारब्रहमु सोयी सुहावा थाउ ॥ जम कंकरु नेड़ि न आवयी रसना हरि गुन गाउ ॥ १ ॥
सेवा सुरति न जाणिया ना जापै आराधि ॥ ओट तेरी जगजीवना मेरे ठाकुर अगम अगाधि ॥ २ ॥
भए क्रिपाल गुसाईआ नठे सोग संताप ॥ तती वाउ न लगयी सतिगुरि रखे आपि ॥ ३ ॥
गुरु नारायनु दयु गुरु गुरु सचा सिरजणहारु ॥ गुरि तुठै सभ किछु पायआ जन नानक सद बलेहार ॥ ४ ॥ २ ॥ १७० ॥
गउड़ी महला ५ ॥
सूके हरे कीए खिन माहे ॥ अंमृत द्रिसटि संचि जीवाए ॥ १ ॥
रहाउ ॥
काटे कसट पूरे गुरदेव ॥ सेवक कउ दीनी अपुनी सेव ॥ १ ॥
मिटि गई चिंत पुनी मन आसा ॥ करी दया सतिगुरि गुणतासा ॥ २ ॥
दुख नाठे सुख आइ समाए ॥ ढील न परी जा गुरि फुरमाए ॥ ३ ॥
इछ पुनी पूरे गुर मिले ॥ नानक ते जन सुफल फले ॥ ४ ॥ ५८ ॥ १२७ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
ताप गए पायी प्रभि सांति ॥ सीतल भए कीनी प्रभ दाति ॥ १ ॥
रहाउ ॥
प्रभ किरपा ते भए सुहेले ॥ जनम जनम के बिछुरे मेले ॥ १ ॥
सिमरत सिमरत प्रभ का नाउ ॥ सगल रोग का बिनस्या थाउ ॥ २ ॥
सहजि सुभाय बोलै हरि बानी ॥ आठ पहर प्रभ सिमरहु प्रानी ॥ ३ ॥
दूखु दरदु जमु नेड़ि न आवै ॥ कहु नानक जो हरि गुन गावै ॥ ४ ॥ ५੯ ॥ १२८ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
जिसु सिमरत दूखु सभु जाय ॥ नामु रतनु वसै मनि आइ ॥ १ ॥
रहाउ ॥
जपि मन मेरे गोविन्द की बानी ॥ साधू जन रामु रसन वखानी ॥ १ ॥
इकसु बिनु नाही दूजा कोइ ॥ जा की द्रिसटि सदा सुखु होइ ॥ २ ॥
साजनु मीतु सखा करि एकु ॥ हरि हरि अखर मन मह लेखु ॥ ३ ॥
रवि रहआ सरबत सुआमी ॥ गुन गावै नानकु अंतरजामी ॥ ४ ॥ ६२ ॥ १३१ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
कोटि बिघन हिरे खिन माह ॥ हरि हरि कथा साधसंगि सुनाह ॥ १ ॥
रहाउ ॥
पीवत राम रसु अंमृत गुन जासु ॥ जपि हरि चरन मिटी खुधि तासु ॥ १ ॥
सरब कल्यान सुख सहज निधान ॥ जा कै रिदै वसह भगवान ॥ २ ॥
अउखध मंत्र तंत सभि छारु ॥ करणैहारु रिदे मह धारु ॥ ३ ॥
तजि सभि भरम भज्यो पारब्रहमु ॥ कहु नानक अटल इहु धरमु ॥ ४ ॥ ८० ॥ १४੯ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
सांति भई गुर गोबिदि पायी ॥ ताप पाप बिनसे मेरे भायी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
राम नामु नित रसन बखान ॥ बिनसे रोग भए कल्यान ॥ १ ॥
पारब्रहम गुन अगम बीचार ॥ साधू संगमि है निसतार ॥ २ ॥
निरमल गुन गावहु नित नीत ॥ गई ब्याधि उबरे जन मीत ॥ ३ ॥
मन बच क्रम प्रभु अपना ध्यायी ॥ नानक दास तेरी सरणायी ॥ ४ ॥ १०२ ॥ १७१ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
नेत्र प्रगासु किया गुरदेव ॥ भरम गए पूरन भई सेव ॥ १ ॥
रहाउ ॥
सीतला ते रख्या बेहारी ॥ पारब्रहम प्रभ किरपा धारी ॥ १ ॥
नानक नामु जपै सो जीवै ॥ साधसंगि हरि अंमृतु पीवै ॥ २ ॥ १०३ ॥ १७२ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
थिरु घरि बैसहु हरि जन प्यारे ॥ सतिगुरि तुमरे काज सवारे ॥ १ ॥
रहाउ ॥
दुसट दूत परमेसरि मारे ॥ जन की पैज रखी करतारे ॥ १ ॥
बादिसाह साह सभ वसि करि दीने ॥ अंमृत नाम महा रस पीने ॥ २ ॥
निरभउ होइ भजहु भगवान ॥ साधसंगति मिलि कीनो दानु ॥ ३ ॥
सरनि परे प्रभ अंतरजामी ॥ नानक ओट पकरी प्रभ सुआमी ॥ ४ ॥ १०८ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
राखु पिता प्रभ मेरे ॥ मोह निरगुनु सभ गुन तेरे ॥ १ ॥
रहाउ ॥
पंच बिखादी एकु गरीबा राखहु राखनहारे ॥ खेदु करह अरु बहुतु संतावह आइयो सरनि तुहारे ॥ १ ॥
करि करि हार्यो अनिक बहु भाती छोडह कतहूं नाही ॥ एक बात सुनि ताकी ओटा साधसंगि मिटि जाही ॥ २ ॥
करि किरपा संत मिले मोह तिन ते धीरजु पायआ ॥ संती मंतु दीयो मोह निरभउ गुर का सबदु कमायआ ॥ ३ ॥
जीति लए ओइ महा बिखादी सहज सुहेली बानी ॥ कहु नानक मनि भया परगासा पायआ पदु निरबानी ॥ ४ ॥ ४ ॥ १२५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सरब कल्यान कीए गुरदेव ॥ सेवकु अपनी लाययो सेव ॥ बिघनु न लागै जपि अलख अभेव ॥ १ ॥
रहाउ ॥
धरति पुनीत भई गुन गाए ॥ दुरतु गया हरि नामु ध्याए ॥ १ ॥
सभनी थांयी रव्या आपि ॥ आदि जुगादि जा का वड परतापु ॥ गुर परसादि न होइ संतापु ॥ २ ॥
गुर के चरन लगे मनि मीठे ॥ निरबिघन होइ सभ थांयी वूठे ॥ सभि सुख पाए सतिगुर तूठे ॥ ३ ॥
पारब्रहम प्रभ भए रखवाले ॥ जिथै किथै दीसह नाले ॥ नानक दास खसमि प्रतिपाले ॥ ४ ॥ २ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
चरन कमल प्रभ हिरदै ध्याए ॥ रोग गए सगले सुख पाए ॥ १ ॥
रहाउ ॥
गुरि दुखु काट्या दीनो दानु ॥ सफल जनमु जीवन परवानु ॥ १ ॥
अकथ कथा अंमृत प्रभ बानी ॥ कहु नानक जपि जीवे ग्यानी ॥ २ ॥ २ ॥ २० ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सांति पायी गुरि सतिगुरि पूरे ॥ सुख उपजे बाजे अनहद तूरे ॥ १ ॥
रहाउ ॥
ताप पाप संताप बिनासे ॥ हरि सिमरत किलविख सभि नासे ॥ १ ॥
अनदु करहु मिलि सुन्दर नारी ॥ गुरि नानकि मेरी पैज सवारी ॥ २ ॥ ३ ॥ २१ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सगल अनन्दु किया परमेसरि अपना बिरदु समार्या ॥ साध जना होए किरपाला बिगसे सभि परवार्या ॥ १ ॥
रहाउ ॥
कारजु सतिगुरि आपि सवार्या ॥ वडी आरजा हरि गोबिन्द की सूख मंगल कल्यान बीचार्या ॥ १ ॥
वण त्रिन त्रिभवन हर्या होए सगले जिय साधार्या ॥ मन इछे नानक फल पाए पूरन इछ पुजार्या ॥ २ ॥ ५ ॥ २३ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
रोगु गया प्रभि आपि गवायआ ॥ नीद पई सुख सहज घरु आया ॥ १ ॥
रहाउ ॥
रजि रजि भोजनु खावहु मेरे भायी ॥ अंमृत नामु रिद माह ध्यायी ॥ १ ॥
नानक गुर पूरे सरनायी ॥ जिनि अपने नाम की पैज रखायी ॥ २ ॥ ८ ॥ २६ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताप संताप सगले गए बिनसे ते रोग ॥ पारब्रहमि तू बखस्या संतन रस भोग ॥
रहाउ ॥
सरब सुखा तेरी मंडली तेरा मनु तनु आरोग ॥ गुन गावहु नित राम के इह अवखद जोग ॥ १ ॥
आइ बसहु घर देस मह इह भले संजोग ॥ नानक प्रभ सुप्रसन्न भए लह गए ब्योग ॥ २ ॥ १० ॥ २८ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बंधन काटे आपि प्रभि होआ किरपाल ॥ दीन दयाल प्रभ पारब्रहम ता की नदरि नेहाल ॥ १ ॥
रहाउ ॥
गुरि पूरै किरपा करी काट्या दुखु रोगु ॥ मनु तनु सीतलु सुखी भया प्रभ ध्यावन जोगु ॥ १ ॥
अउखधु हरि का नामु है जितु रोगु न व्यापै ॥ साधसंगि मनि तनि हितै फिरि दूखु न जापै ॥ २ ॥
हरि हरि हरि हरि जापीऐ अंतरि लिव लायी ॥ किलविख उतरह सुधु होइ साधू सरणायी ॥ ३ ॥
सुनत जपत हरि नाम जसु ता की दूरि बलायी ॥ महा मंत्रु नानकु कथै हरि के गुन गायी ॥ ४ ॥ २३ ॥ ५३ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
हरि हरि हरि आराधीऐ होईऐ आरोग ॥ रामचन्द की लसटिका जिनि मार्या रोगु ॥ १ ॥
रहाउ ॥
गुरु पूरा हरि जापीऐ नित कीचै भोगु ॥ साधसंगति कै वारनै मिल्या संजोगु ॥ १ ॥
जिसु सिमरत सुखु पाईऐ बिनसै ब्योगु ॥ नानक प्रभ सरणागती करन कारन जोगु ॥ २ ॥ ३४ ॥ ६४ ॥
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अवरि उपाव सभि त्याग्या दारू नामु लया ॥ ताप पाप सभि मिटे रोग सीतल मनु भया ॥ १ ॥
रहाउ ॥
गुरु पूरा आराध्या सगला दुखु गया ॥ राखनहारै राख्या अपनी करि मया ॥ १ ॥
बाह पकड़ि प्रभि काढ्या कीना अपनया ॥ सिमरि सिमरि मन तन सुखी नानक निरभया ॥ २ ॥ १ ॥ ६५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
रोगु मिटायआ आपि प्रभि उपज्या सुखु सांति ॥ वड परतापु अचरज रूपु हरि कीनी दाति ॥ १ ॥
रहाउ ॥
गुरि गोविन्दि क्रिपा करी राख्या मेरा भायी ॥ हम तिस की सरणागती जो सदा सहायी ॥ १ ॥
बिरथी कदे न होवयी जन की अरदासि ॥ नानक जोरु गोविन्द का पूरन गुणतासि ॥ २ ॥ १३ ॥ ७७ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताती वाउ न लगयी पारब्रहम सरणायी ॥ चउगिरद हमारै राम कार दुखु लगै न भायी ॥ १ ॥
रहाउ ॥
सतिगुरु पूरा भेट्या जिनि बनत बणायी ॥ राम नामु अउखधु दिया एका लिव लायी ॥ १ ॥
राखि लीए तिनि रखनहारि सभ ब्याधि मिटायी ॥ कहु नानक किरपा भई प्रभ भए सहायी ॥ २ ॥ १५ ॥ ७੯ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
अपने बालक आपि रखिअनु पारब्रहम गुरदेव ॥ सुख सांति सहज आनद भए पूरन भई सेव ॥ १ ॥
रहाउ ॥
भगत जना की बेनती सुनी प्रभि आपि ॥ रोग मिटाय जीवालिअनु जा का वड परतापु ॥ १ ॥
दोख हमारे बखसिअनु अपनी कल धारी ॥ मन बांछत फल दितिअनु नानक बलेहारी ॥ २ ॥ १६ ॥ ८० ॥
बिलावलु महला ५ ॥
तापु लाहआ गुर सिरजनहारि ॥ सतिगुर अपने कउ बलि जायी जिनि पैज रखी सारै संसारि ॥ १ ॥
रहाउ ॥
करु मसतकि धारि बालिकु रखि लीनो ॥ प्रभि अंमृत नामु महा रसु दीनो ॥ १ ॥
दास की लाज रखै मेहरवानु ॥ गुरु नानकु बोलै दरगह परवानु ॥ २ ॥ ६ ॥ ८६ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताप पाप ते राखे आप ॥ सीतल भए गुर चरनी लागे राम नाम हिरदे मह जाप ॥ १ ॥
रहाउ ॥
करि किरपा हसत प्रभि दीने जगत उधार नव खंड प्रताप ॥ दुख बिनसे सुख अनद प्रवेसा त्रिसन बुझी मन तन सचु ध्राप ॥ १ ॥
अनाथ को नाथु सरनि समरथा सगल स्रिसटि को मायी बापु ॥
भगति वछल भै भंजन सुआमी गुन गावत नानक आलाप ॥ २ ॥ २० ॥ १०६ ॥
सोरठि महला ५ ॥
करि इसनानु सिमरि प्रभु अपना मन तन भए अरोगा ॥ कोटि बिघन लाथे प्रभ सरना प्रगटे भले संजोगा ॥ १ ॥
रहाउ ॥
प्रभ बानी सबदु सुभाख्या ॥ गावहु सुणहु पड़हु नित भायी गुर पूरै तू राख्या ॥ १॥
साचा साहबु अमिति वडायी भगति वछल दयाला ॥ संता की पैज रखदा आया आदि बिरदु प्रतिपाला ॥ २ ॥
हरि अंमृत नामु भोजनु नित भुंचहु सरब वेला मुखि पावहु ॥ जरा मरा तापु सभु नाठा गुन गोबिन्द नित गावहु ॥ ३ ॥
सुनी अरदासि सुआमी मेरै सरब कला बनि आई ॥ प्रगट भई सगले जुग अंतरि गुर नानक की वड्यायी ॥ ४ ॥ ११ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सूख मंगल कल्यान सहज धुनि प्रभ के चरन नेहार्या ॥ राखनहारै राख्यो बारिकु सतिगुरि तापु उतार्या ॥ १ ॥
रहाउ ॥
उबरे सतिगुर की सरणायी ॥ जा की सेव न बिरथी जायी ॥१ ॥
घर मह सूख बाहरि फुनि सूखा प्रभ अपुने भए दयाला ॥ नानक बिघनु न लागै कोऊ मेरा प्रभु होआ किरपाला ॥ २ ॥ १२ ॥ ४० ॥
सोरठि म ५ ॥
गए कलेस रोग सभि नासे प्रभि अपुनै किरपा धारी ॥ आठ पहर आराधहु सुआमी पूरन घाल हमारी ॥ १ ॥
रहाउ ॥
हरि जीउ तू सुख सम्पति रासि ॥ राखि लैहु भायी मेरे कउ प्रभ आगै अरदासि ॥ १ ॥
जो मागउ सोयी सोयी पावउ अपने खसम भरोसा ॥
कहु नानक गुरु पूरा भेट्यो मिट्यो सगल अन्देसा ॥ २ ॥ १४ ॥ ४२ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सिमरि सिमरि गुरु सतिगुरु अपना सगला दूखु मिटायआ ॥ ताप रोग गए गुर बचनी मन इछे फल पायआ ॥ १ ॥
रहाउ ॥
मेरा गुरु पूरा सुखदाता ॥ करन कारन समरथ सुआमी पूरन पुरखु बिधाता ॥ १ ॥
अनन्द बिनोद मंगल गुन गावहु गुर नानक भए दयाला ॥
जै जै कार भए जग भीतरि होआ पारब्रहमु रखवाला ॥ २ ॥ १५ ॥ ४३ ॥
सोरठि महला ५ ॥
दुरतु गवायआ हरि प्रभि आपे सभु संसारु उबार्या ॥ पारब्रहमि प्रभि किरपा धारी अपना बिरदु समार्या ॥ १ ॥
रहाउ ॥
होयी राजे राम की रखवाली ॥ सूख सहज आनद गुन गावहु मनु तनु देह सुखाली ॥ १ ॥
पतित उधारनु सतिगुरु मेरा मोह तिस का भरवासा ॥
बखसि लए सभि सचै साहबि सुनि नानक की अरदासा ॥ २ ॥ १७ ॥ ४५ ॥
सोरठि महला ५ ॥
बखस्या पारब्रहम परमेसरि सगले रोग बिदारे ॥ गुर पूरे की सरनी उबरे कारज सगल सवारे ॥ १ ॥
रहाउ ॥
हरि जनि सिमर्या नाम अधारि ॥ तापु उतार्या सतिगुरि पूरै अपनी किरपा धारि ॥ १ ॥
सदा अनन्द करह मेरे प्यारे हरि गोविदु गुरि राख्या ॥
वडी वड्यायी नानक करते की साचु सबदु सति भाख्या ॥ २ ॥ १८ ॥ ४६ ॥
सोरठि महला ५ ॥
भए क्रिपाल सुआमी मेरे तितु साचै दरबारि ॥ सतिगुरि तापु गवायआ भायी ठांढि पई संसारि ॥ अपने जिय जंत आपे राखे जमह कीयो हटतारि ॥ १ ॥
रहाउ ॥
हरि के चरन रिदै उरि धारि ॥ सदा सदा प्रभु सिमरीऐ भायी दुख किलबिख काटणहारु ॥ १ ॥
तिस की सरनी ऊबरै भायी जिनि रच्या सभु कोइ ॥ करन कारन समरथु सो भायी सचै सची सोइ ॥
नानक प्रभू ध्याईऐ भायी मनु तनु सीतलु होइ ॥ २ ॥ १੯ ॥ ४७ ॥
सोरठि महला ५ ॥
संतहु हरि हरि नामु ध्यायी ॥ सुख सागर प्रभु विसरउ नाही मन चिन्दिअड़ा फलु पायी ॥ १ ॥
रहाउ ॥
सतिगुरि पूरै तापु गवायआ अपनी किरपा धारी ॥ पारब्रहम प्रभ भए दयाला दुखु मिट्या सभ परवारी ॥ १ ॥
सरब निधान मंगल रस रूपा हरि का नामु अधारो ॥ नानक पति राखी परमेसरि उधर्या सभु संसारो ॥ २ ॥ २० ॥ ४८ ॥
सोरठि महला ५ ॥
मेरा सतिगुरु रखवाला होआ ॥ धारि क्रिपा प्रभ हाथ दे राख्या हरि गोविदु नवा निरोआ ॥ १ ॥
रहाउ ॥
तापु गया प्रभि आपि मिटायआ जन की लाज रखायी ॥ साधसंगति ते सभ फल पाए सतिगुर कै बलि जांयी ॥ १ ॥
हलतु पलतु प्रभ दोवै सवारे हमरा गुनु अवगुनु न बीचार्या ॥
अटल बचनु नानक गुर तेरा सफल करु मसतकि धार्या ॥ २ ॥ २१ ॥ ४੯ ॥
सोरठि महला ५ ॥
जिय जंत्र सभि तिस के कीए सोयी संत सहायी ॥ अपुने सेवक की आपे राखै पूरन भई बडायी ॥ १ ॥
रहाउ ॥
पारब्रहमु पूरा मेरै नालि ॥ गुरि पूरै पूरी सभ राखी होए सरब दयाल ॥ १ ॥
अनदिनु नानकु नामु ध्याए जिय प्रान का दाता ॥ अपुने दास कउ कंठि लाय राखै ज्यु बारिक पित माता ॥ २ ॥ २२ ॥ ५० ॥
सोरठि महला ५ ॥
ठाढि पायी करतारे ॥ तापु छोडि गया परवारे ॥ गुरि पूरै है राखी ॥ सरनि सचे की ताकी ॥ १ ॥
रहाउ ॥
परमेसरु आपि होआ रखवाला ॥ सांति सहज सुख खिन मह उपजे मनु होआ सदा सुखाला ॥ १ ॥
हरि हरि नामु दीयो दारू ॥ तिनि सगला रोगु बिदारू ॥ अपनी किरपा धारी ॥ तिनि सगली बात सवारी ॥ २ ॥
प्रभि अपना बिरदु समार्या ॥ हमरा गुनु अवगुनु न बीचार्या ॥ गुर का सबदु भइयो साखी ॥ तिनि सगली लाज राखी ॥ ३ ॥ बोलायआ बोली तेरा ॥ तू साहबु गुनी गहेरा ॥ जपि नानक नामु सचु साखी ॥ अपुने दास की पैज राखी ॥ ४ ॥ ६ ॥ ५६ ॥
(2) Dukh Bhanjani Sahib Path PDF In Punjabi
PDF Name | Dukh Bhanjani Sahib |
Total Pages | 49 |
PDF Size | 171 KB |
File Maker | Sikhizm |
Language | Gurmukhi Punjabi |
Provider | Sabsastaa |
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ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ਮਾਂਝ ॥
ਦੁਖ ਭੰਜਨੁ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਜੀ ਦੁਖ ਭੰਜਨੁ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਆਰਾਧੀਐ ਪੂਰਨ ਸਤਿਗੁਰ ਗਿਆਨੁ ॥ ੧ ॥
ਰਹਾਉ ॥ ਜਿਤੁ ਘਟਿ ਵਸੈ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸੋਈ ਸੁਹਾਵਾ ਥਾਉ ॥ ਜਮ ਕੰਕਰੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵਈ ਰਸਨਾ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਉ ॥ ੧ ॥
ਸੇਵਾ ਸੁਰਤਿ ਨ ਜਾਣੀਆ ਨਾ ਜਾਪੈ ਆਰਾਧਿ ॥ ਓਟ ਤੇਰੀ ਜਗਜੀਵਨਾ ਮੇਰੇ ਠਾਕੁਰ ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ॥ ੨ ॥
ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਗੁਸਾਈਆ ਨਠੇ ਸੋਗ ਸੰਤਾਪ ॥ ਤਤੀ ਵਾਉ ਨ ਲਗਈ ਸਤਿਗੁਰਿ ਰਖੇ ਆਪਿ ॥ ੩ ॥
ਗੁਰੁ ਨਾਰਾਇਣੁ ਦਯੁ ਗੁਰੁ ਗੁਰੁ ਸਚਾ ਸਿਰਜਣਹਾਰੁ ॥ ਗੁਰਿ ਤੁਠੈ ਸਭ ਕਿਛੁ ਪਾਇਆ ਜਨ ਨਾਨਕ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰ ॥ ੪ ॥ ੨ ॥ ੧੭੦ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੂਕੇ ਹਰੇ ਕੀਏ ਖਿਨ ਮਾਹੇ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸੰਚਿ ਜੀਵਾਏ ॥ ੧ ॥
ਕਾਟੇ ਕਸਟ ਪੂਰੇ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੇਵਕ ਕਉ ਦੀਨੀ ਅਪੁਨੀ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਮਿਟਿ ਗਈ ਚਿੰਤ ਪੁਨੀ ਮਨ ਆਸਾ ॥ ਕਰੀ ਦਇਆ ਸਤਿਗੁਰਿ ਗੁਣਤਾਸਾ ॥ ੨ ॥
ਦੁਖ ਨਾਠੇ ਸੁਖ ਆਇ ਸਮਾਏ ॥ ਢੀਲ ਨ ਪਰੀ ਜਾ ਗੁਰਿ ਫੁਰਮਾਏ ॥ ੩ ॥
ਇਛ ਪੁਨੀ ਪੂਰੇ ਗੁਰ ਮਿਲੇ ॥ ਨਾਨਕ ਤੇ ਜਨ ਸੁਫਲ ਫਲੇ ॥ ੪ ॥ ੫੮ ॥ ੧੨੭ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਗਏ ਪਾਈ ਪ੍ਰਭਿ ਸਾਂਤਿ ॥ ਸੀਤਲ ਭਏ ਕੀਨੀ ਪ੍ਰਭ ਦਾਤਿ ॥ ੧ ॥
ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਭਏ ਸੁਹੇਲੇ ॥ ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਬਿਛੁਰੇ ਮੇਲੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਿਮਰਤ ਸਿਮਰਤ ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਨਾਉ ॥ ਸਗਲ ਰੋਗ ਕਾ ਬਿਨਸਿਆ ਥਾਉ ॥ ੨ ॥
ਸਹਜਿ ਸੁਭਾਇ ਬੋਲੈ ਹਰਿ ਬਾਣੀ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਪ੍ਰਭ ਸਿਮਰਹੁ ਪ੍ਰਾਣੀ ॥ ੩ ॥
ਦੂਖੁ ਦਰਦੁ ਜਮੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵੈ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜੋ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਵੈ ॥ ੪ ॥ ੫੯ ॥ ੧੨੮ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਦੂਖੁ ਸਭੁ ਜਾਇ ॥ ਨਾਮੁ ਰਤਨੁ ਵਸੈ ਮਨਿ ਆਇ ॥ ੧ ॥
ਜਪਿ ਮਨ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦ ਕੀ ਬਾਣੀ ॥ ਸਾਧੂ ਜਨ ਰਾਮੁ ਰਸਨ ਵਖਾਣੀ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਇਕਸੁ ਬਿਨੁ ਨਾਹੀ ਦੂਜਾ ਕੋਇ ॥ ਜਾ ਕੀ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ॥ ੨ ॥
ਸਾਜਨੁ ਮੀਤੁ ਸਖਾ ਕਰਿ ਏਕੁ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਖਰ ਮਨ ਮਹਿ ਲੇਖੁ ॥ ੩ ॥
ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਰਬਤ ਸੁਆਮੀ ॥ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਨਾਨਕੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥ ੪ ॥ ੬੨ ॥ ੧੩੧ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਕੋਟਿ ਬਿਘਨ ਹਿਰੇ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਕਥਾ ਸਾਧਸੰਗਿ ਸੁਨਾਹਿ ॥ ੧ ॥
ਪੀਵਤ ਰਾਮ ਰਸੁ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਗੁਣ ਜਾਸੁ ॥ ਜਪਿ ਹਰਿ ਚਰਣ ਮਿਟੀ ਖੁਧਿ ਤਾਸੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਰਬ ਕਲਿਆਣ ਸੁਖ ਸਹਜ ਨਿਧਾਨ ॥ ਜਾ ਕੈ ਰਿਦੈ ਵਸਹਿ ਭਗਵਾਨ ॥ ੨ ॥
ਅਉਖਧ ਮੰਤ੍ਰ ਤੰਤ ਸਭਿ ਛਾਰੁ ॥ ਕਰਣੈਹਾਰੁ ਰਿਦੇ ਮਹਿ ਧਾਰੁ ॥ ੩ ॥
ਤਜਿ ਸਭਿ ਭਰਮ ਭਜਿਓ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਅਟਲ ਇਹੁ ਧਰਮੁ ॥ ੪ ॥ ੮੦ ॥ ੧੪੯ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਾਂਤਿ ਭਈ ਗੁਰ ਗੋਬਿਦਿ ਪਾਈ ॥ ਤਾਪ ਪਾਪ ਬਿਨਸੇ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਨਿਤ ਰਸਨ ਬਖਾਨ ॥ ਬਿਨਸੇ ਰੋਗ ਭਏ ਕਲਿਆਨ ॥ ੧ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਗੁਣ ਅਗਮ ਬੀਚਾਰ ॥ ਸਾਧੂ ਸੰਗਮਿ ਹੈ ਨਿਸਤਾਰ ॥ ੨ ॥
ਨਿਰਮਲ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਨਿਤ ਨੀਤ ॥ ਗਈ ਬਿਆਧਿ ਉਬਰੇ ਜਨ ਮੀਤ ॥ ੩ ॥
ਮਨ ਬਚ ਕ੍ਰਮ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਧਿਆਈ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਾਈ ॥ ੪ ॥ ੧੦੨ ॥ ੧੭੧ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਨੇਤ੍ਰ ਪ੍ਰਗਾਸੁ ਕੀਆ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਭਰਮ ਗਏ ਪੂਰਨ ਭਈ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸੀਤਲਾ ਤੇ ਰਖਿਆ ਬਿਹਾਰੀ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ੧ ॥
ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਜਪੈ ਸੋ ਜੀਵੈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਵੈ ॥ ੨ ॥ ੧੦੩ ॥ ੧੭੨ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਥਿਰੁ ਘਰਿ ਬੈਸਹੁ ਹਰਿ ਜਨ ਪਿਆਰੇ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤੁਮਰੇ ਕਾਜ ਸਵਾਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਦੁਸਟ ਦੂਤ ਪਰਮੇਸਰਿ ਮਾਰੇ ॥ ਜਨ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖੀ ਕਰਤਾਰੇ ॥ ੧ ॥
ਬਾਦਿਸਾਹ ਸਾਹ ਸਭ ਵਸਿ ਕਰਿ ਦੀਨੇ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮ ਮਹਾ ਰਸ ਪੀਨੇ ॥ ੨ ॥
ਨਿਰਭਉ ਹੋਇ ਭਜਹੁ ਭਗਵਾਨ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਮਿਲਿ ਕੀਨੋ ਦਾਨੁ ॥ ੩ ॥
ਸਰਣਿ ਪਰੇ ਪ੍ਰਭ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥ ਨਾਨਕ ਓਟ ਪਕਰੀ ਪ੍ਰਭ ਸੁਆਮੀ ॥ ੪ ॥ ੧੦੮ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰਾਖੁ ਪਿਤਾ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ॥ ਮੋਹਿ ਨਿਰਗੁਨੁ ਸਭ ਗੁਨ ਤੇਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਪੰਚ ਬਿਖਾਦੀ ਏਕੁ ਗਰੀਬਾ ਰਾਖਹੁ ਰਾਖਨਹਾਰੇ ॥ ਖੇਦੁ ਕਰਹਿ ਅਰੁ ਬਹੁਤੁ ਸੰਤਾਵਹਿ ਆਇਓ ਸਰਨਿ ਤੁਹਾਰੇ ॥ ੧ ॥
ਕਰਿ ਕਰਿ ਹਾਰਿਓ ਅਨਿਕ ਬਹੁ ਭਾਤੀ ਛੋਡਹਿ ਕਤਹੂੰ ਨਾਹੀ ॥ ਏਕ ਬਾਤ ਸੁਨਿ ਤਾਕੀ ਓਟਾ ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਿਟਿ ਜਾਹੀ ॥ ੨ ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਸੰਤ ਮਿਲੇ ਮੋਹਿ ਤਿਨ ਤੇ ਧੀਰਜੁ ਪਾਇਆ ॥ ਸੰਤੀ ਮੰਤੁ ਦੀਓ ਮੋਹਿ ਨਿਰਭਉ ਗੁਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਕਮਾਇਆ ॥ ੩ ॥
ਜੀਤਿ ਲਏ ਓਇ ਮਹਾ ਬਿਖਾਦੀ ਸਹਜ ਸੁਹੇਲੀ ਬਾਣੀ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਮਨਿ ਭਇਆ ਪਰਗਾਸਾ ਪਾਇਆ ਪਦੁ ਨਿਰਬਾਣੀ ॥ ੪ ॥ ੪ ॥ ੧੨੫ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਰਬ ਕਲਿਆਣ ਕੀਏ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੇਵਕੁ ਅਪਨੀ ਲਾਇਓ ਸੇਵ ॥ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ਜਪਿ ਅਲਖ ਅਭੇਵ ॥ ੧ ॥
ਧਰਤਿ ਪੁਨੀਤ ਭਈ ਗੁਨ ਗਾਏ ॥ ਦੁਰਤੁ ਗਇਆ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਭਨੀ ਥਾਂਈ ਰਵਿਆ ਆਪਿ ॥ ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਜਾ ਕਾ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥ ਗੁਰ ਪਰਸਾਦਿ ਨ ਹੋਇ ਸੰਤਾਪੁ ॥ ੨ ॥
ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਨ ਲਗੇ ਮਨਿ ਮੀਠੇ ॥ ਨਿਰਬਿਘਨ ਹੋਇ ਸਭ ਥਾਂਈ ਵੂਠੇ ॥ ਸਭਿ ਸੁਖ ਪਾਏ ਸਤਿਗੁਰ ਤੂਠੇ ॥ ੩ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਰਖਵਾਲੇ ॥ ਜਿਥੈ ਕਿਥੈ ਦੀਸਹਿ ਨਾਲੇ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਖਸਮਿ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲੇ ॥ ੪ ॥ ੨ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਚਰਨ ਕਮਲ ਪ੍ਰਭ ਹਿਰਦੈ ਧਿਆਏ ॥ ਰੋਗ ਗਏ ਸਗਲੇ ਸੁਖ ਪਾਏ ॥ ੧ ॥
ਗੁਰਿ ਦੁਖੁ ਕਾਟਿਆ ਦੀਨੋ ਦਾਨੁ ॥ ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਜੀਵਨ ਪਰਵਾਨੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਅਕਥ ਕਥਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪ੍ਰਭ ਬਾਨੀ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜਪਿ ਜੀਵੇ ਗਿਆਨੀ ॥ ੨ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਾਂਤਿ ਪਾਈ ਗੁਰਿ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੇ ॥ ਸੁਖ ਉਪਜੇ ਬਾਜੇ ਅਨਹਦ ਤੂਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਤਾਪ ਪਾਪ ਸੰਤਾਪ ਬਿਨਾਸੇ ॥ ਹਰਿ ਸਿਮਰਤ ਕਿਲਵਿਖ ਸਭਿ ਨਾਸੇ ॥ ੧ ॥
ਅਨਦੁ ਕਰਹੁ ਮਿਲਿ ਸੁੰਦਰ ਨਾਰੀ ॥ ਗੁਰਿ ਨਾਨਕਿ ਮੇਰੀ ਪੈਜ ਸਵਾਰੀ ॥ ੨ ॥ ੩ ॥ ੨੧ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਗਲ ਅਨੰਦੁ ਕੀਆ ਪਰਮੇਸਰਿ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ਸਾਧ ਜਨਾ ਹੋਏ ਕਿਰਪਾਲਾ ਬਿਗਸੇ ਸਭਿ ਪਰਵਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥
ਕਾਰਜੁ ਸਤਿਗੁਰਿ ਆਪਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥ ਵਡੀ ਆਰਜਾ ਹਰਿ ਗੋਬਿੰਦ ਕੀ ਸੂਖ ਮੰਗਲ ਕਲਿਆਣ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਵਣ ਤ੍ਰਿਣ ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਹਰਿਆ ਹੋਏ ਸਗਲੇ ਜੀਅ ਸਾਧਾਰਿਆ ॥ ਮਨ ਇਛੇ ਨਾਨਕ ਫਲ ਪਾਏ ਪੂਰਨ ਇਛ ਪੁਜਾਰਿਆ ॥ ੨ ॥ ੫ ॥ ੨੩ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰੋਗੁ ਗਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ਗਵਾਇਆ ॥ ਨੀਦ ਪਈ ਸੁਖ ਸਹਜ ਘਰੁ ਆਇਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਰਜਿ ਰਜਿ ਭੋਜਨੁ ਖਾਵਹੁ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਰਿਦ ਮਾਹਿ ਧਿਆਈ ॥ ੧ ॥
ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਸਰਨਾਈ ॥ ਜਿਨਿ ਅਪਨੇ ਨਾਮ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖਾਈ ॥ ੨ ॥ ੮ ॥ ੨੬ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਸੰਤਾਪ ਸਗਲੇ ਗਏ ਬਿਨਸੇ ਤੇ ਰੋਗ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਤੂ ਬਖਸਿਆ ਸੰਤਨ ਰਸ ਭੋਗ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਤੇਰੀ ਮੰਡਲੀ ਤੇਰਾ ਮਨੁ ਤਨੁ ਆਰੋਗ ॥ ਗੁਨ ਗਾਵਹੁ ਨਿਤ ਰਾਮ ਕੇ ਇਹ ਅਵਖਦ ਜੋਗ ॥ ੧ ॥
ਆਇ ਬਸਹੁ ਘਰ ਦੇਸ ਮਹਿ ਇਹ ਭਲੇ ਸੰਜੋਗ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਭਏ ਲਹਿ ਗਏ ਬਿਓਗ ॥ ੨ ॥ ੧੦ ॥ ੨੮ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਬੰਧਨ ਕਾਟੇ ਆਪਿ ਪ੍ਰਭਿ ਹੋਆ ਕਿਰਪਾਲ ॥ ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਪ੍ਰਭ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਤਾ ਕੀ ਨਦਰਿ ਨਿਹਾਲ ॥ ੧ ॥
ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਕਿਰਪਾ ਕਰੀ ਕਾਟਿਆ ਦੁਖੁ ਰੋਗੁ ॥ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਸੁਖੀ ਭਇਆ ਪ੍ਰਭ ਧਿਆਵਨ ਜੋਗੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਅਉਖਧੁ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਹੈ ਜਿਤੁ ਰੋਗੁ ਨ ਵਿਆਪੈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਨਿ ਤਨਿ ਹਿਤੈ ਫਿਰਿ ਦੂਖੁ ਨ ਜਾਪੈ ॥ ੨ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਾਪੀਐ ਅੰਤਰਿ ਲਿਵ ਲਾਈ ॥ ਕਿਲਵਿਖ ਉਤਰਹਿ ਸੁਧੁ ਹੋਇ ਸਾਧੂ ਸਰਣਾਈ ॥ ੩ ॥
ਸੁਨਤ ਜਪਤ ਹਰਿ ਨਾਮ ਜਸੁ ਤਾ ਕੀ ਦੂਰਿ ਬਲਾਈ ॥ ਮਹਾ ਮੰਤ੍ਰੁ ਨਾਨਕੁ ਕਥੈ ਹਰਿ ਕੇ ਗੁਣ ਗਾਈ ॥ ੪ ॥ ੨੩ ॥ ੫੩ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਆਰਾਧੀਐ ਹੋਈਐ ਆਰੋਗ ॥ ਰਾਮਚੰਦ ਕੀ ਲਸਟਿਕਾ ਜਿਨਿ ਮਾਰਿਆ ਰੋਗੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਹਰਿ ਜਾਪੀਐ ਨਿਤ ਕੀਚੈ ਭੋਗੁ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਕੈ ਵਾਰਣੈ ਮਿਲਿਆ ਸੰਜੋਗੁ ॥ ੧ ॥
ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ਬਿਨਸੈ ਬਿਓਗੁ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਗਤੀ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਜੋਗੁ ॥ ੨ ॥ ੩੪ ॥ ੬੪ ॥
ਰਾਗੁ ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ਦੁਪਦੇ ਘਰੁ ੫
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਅਵਰਿ ਉਪਾਵ ਸਭਿ ਤਿਆਗਿਆ ਦਾਰੂ ਨਾਮੁ ਲਇਆ ॥ ਤਾਪ ਪਾਪ ਸਭਿ ਮਿਟੇ ਰੋਗ ਸੀਤਲ ਮਨੁ ਭਇਆ ॥ ੧ ॥
ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਆਰਾਧਿਆ ਸਗਲਾ ਦੁਖੁ ਗਇਆ ॥ ਰਾਖਨਹਾਰੈ ਰਾਖਿਆ ਅਪਨੀ ਕਰਿ ਮਇਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਬਾਹ ਪਕੜਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਾਢਿਆ ਕੀਨਾ ਅਪਨਇਆ ॥ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਮਨ ਤਨ ਸੁਖੀ ਨਾਨਕ ਨਿਰਭਇਆ ॥ ੨ ॥ ੧ ॥ ੬੫ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰੋਗੁ ਮਿਟਾਇਆ ਆਪਿ ਪ੍ਰਭਿ ਉਪਜਿਆ ਸੁਖੁ ਸਾਂਤਿ ॥ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ਅਚਰਜ ਰੂਪੁ ਹਰਿ ਕੀਨੀ ਦਾਤਿ ॥ ੧ ॥
ਗੁਰਿ ਗੋਵਿੰਦਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੀ ਰਾਖਿਆ ਮੇਰਾ ਭਾਈ ॥ ਹਮ ਤਿਸ ਕੀ ਸਰਣਾਗਤੀ ਜੋ ਸਦਾ ਸਹਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਬਿਰਥੀ ਕਦੇ ਨ ਹੋਵਈ ਜਨ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ॥ ਨਾਨਕ ਜੋਰੁ ਗੋਵਿੰਦ ਕਾ ਪੂਰਨ ਗੁਣਤਾਸਿ ॥ ੨ ॥ ੧੩ ॥ ੭੭ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਤੀ ਵਾਉ ਨ ਲਗਈ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸਰਣਾਈ ॥ ਚਉਗਿਰਦ ਹਮਾਰੈ ਰਾਮ ਕਾਰ ਦੁਖੁ ਲਗੈ ਨ ਭਾਈ ॥ ੧ ॥
ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਆ ਜਿਨਿ ਬਣਤ ਬਣਾਈ ॥ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਅਉਖਧੁ ਦੀਆ ਏਕਾ ਲਿਵ ਲਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਰਾਖਿ ਲੀਏ ਤਿਨਿ ਰਖਨਹਾਰਿ ਸਭ ਬਿਆਧਿ ਮਿਟਾਈ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਕਿਰਪਾ ਭਈ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਸਹਾਈ ॥ ੨ ॥ ੧੫ ॥ ੭੯ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਅਪਣੇ ਬਾਲਕ ਆਪਿ ਰਖਿਅਨੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੁਖ ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਆਨਦ ਭਏ ਪੂਰਨ ਭਈ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੀ ਬੇਨਤੀ ਸੁਣੀ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ॥ ਰੋਗ ਮਿਟਾਇ ਜੀਵਾਲਿਅਨੁ ਜਾ ਕਾ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥ ੧ ॥
ਦੋਖ ਹਮਾਰੇ ਬਖਸਿਅਨੁ ਅਪਣੀ ਕਲ ਧਾਰੀ ॥ ਮਨ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਦਿਤਿਅਨੁ ਨਾਨਕ ਬਲਿਹਾਰੀ ॥ ੨ ॥ ੧੬ ॥ ੮੦ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪੁ ਲਾਹਿਆ ਗੁਰ ਸਿਰਜਨਹਾਰਿ ॥ ਸਤਿਗੁਰ ਅਪਨੇ ਕਉ ਬਲਿ ਜਾਈ ਜਿਨਿ ਪੈਜ ਰਖੀ ਸਾਰੈ ਸੰਸਾਰਿ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਕਰੁ ਮਸਤਕਿ ਧਾਰਿ ਬਾਲਿਕੁ ਰਖਿ ਲੀਨੋ ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਮਹਾ ਰਸੁ ਦੀਨੋ ॥ ੧ ॥
ਦਾਸ ਕੀ ਲਾਜ ਰਖੈ ਮਿਹਰਵਾਨੁ ॥ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਬੋਲੈ ਦਰਗਹ ਪਰਵਾਨੁ ॥ ੨ ॥ ੬ ॥ ੮੬ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਪਾਪ ਤੇ ਰਾਖੇ ਆਪ ॥ ਸੀਤਲ ਭਏ ਗੁਰ ਚਰਨੀ ਲਾਗੇ ਰਾਮ ਨਾਮ ਹਿਰਦੇ ਮਹਿ ਜਾਪ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਹਸਤ ਪ੍ਰਭਿ ਦੀਨੇ ਜਗਤ ਉਧਾਰ ਨਵ ਖੰਡ ਪ੍ਰਤਾਪ ॥ ਦੁਖ ਬਿਨਸੇ ਸੁਖ ਅਨਦ ਪ੍ਰਵੇਸਾ ਤ੍ਰਿਸਨ ਬੁਝੀ ਮਨ ਤਨ ਸਚੁ ਧ੍ਰਾਪ ॥ ੧ ॥
ਅਨਾਥ ਕੋ ਨਾਥੁ ਸਰਣਿ ਸਮਰਥਾ ਸਗਲ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਕੋ ਮਾਈ ਬਾਪੁ ॥ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਭੈ ਭੰਜਨ ਸੁਆਮੀ ਗੁਣ ਗਾਵਤ ਨਾਨਕ ਆਲਾਪ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥ ੧੦੬ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਕਰਿ ਇਸਨਾਨੁ ਸਿਮਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਮਨ ਤਨ ਭਏ ਅਰੋਗਾ ॥ ਕੋਟਿ ਬਿਘਨ ਲਾਥੇ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾ ਪ੍ਰਗਟੇ ਭਲੇ ਸੰਜੋਗਾ ॥ ੧ ॥
ਪ੍ਰਭ ਬਾਣੀ ਸਬਦੁ ਸੁਭਾਖਿਆ ॥ ਗਾਵਹੁ ਸੁਣਹੁ ਪੜਹੁ ਨਿਤ ਭਾਈ ਗੁਰ ਪੂਰੈ ਤੂ ਰਾਖਿਆ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਅਮਿਤਿ ਵਡਾਈ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਦਇਆਲਾ ॥ ਸੰਤਾ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖਦਾ ਆਇਆ ਆਦਿ ਬਿਰਦੁ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਾ ॥ ੨ ॥
ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਭੋਜਨੁ ਨਿਤ ਭੁੰਚਹੁ ਸਰਬ ਵੇਲਾ ਮੁਖਿ ਪਾਵਹੁ ॥ ਜਰਾ ਮਰਾ ਤਾਪੁ ਸਭੁ ਨਾਠਾ ਗੁਣ ਗੋਬਿੰਦ ਨਿਤ ਗਾਵਹੁ ॥ ੩ ॥
ਸੁਣੀ ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੈ ਸਰਬ ਕਲਾ ਬਣਿ ਆਈ ॥ ਪ੍ਰਗਟ ਭਈ ਸਗਲੇ ਜੁਗ ਅੰਤਰਿ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਕੀ ਵਡਿਆਈ ॥ ੪ ॥ ੧੧ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੂਖ ਮੰਗਲ ਕਲਿਆਣ ਸਹਜ ਧੁਨਿ ਪ੍ਰਭ ਕੇ ਚਰਣ ਨਿਹਾਰਿਆ ॥ ਰਾਖਨਹਾਰੈ ਰਾਖਿਓ ਬਾਰਿਕੁ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤਾਪੁ ਉਤਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥
ਉਬਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਕੀ ਸਰਣਾਈ ॥ ਜਾ ਕੀ ਸੇਵ ਨ ਬਿਰਥੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਘਰ ਮਹਿ ਸੂਖ ਬਾਹਰਿ ਫੁਨਿ ਸੂਖਾ ਪ੍ਰਭ ਅਪੁਨੇ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ॥ ਨਾਨਕ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ਕੋਊ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਹੋਆ ਕਿਰਪਾਲਾ ॥ ੨ ॥ ੧੨ ॥ ੪੦ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮ: ੫ ॥
ਗਏ ਕਲੇਸ ਰੋਗ ਸਭਿ ਨਾਸੇ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪੁਨੈ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਆਰਾਧਹੁ ਸੁਆਮੀ ਪੂਰਨ ਘਾਲ ਹਮਾਰੀ ॥ ੧ ॥
ਹਰਿ ਜੀਉ ਤੂ ਸੁਖ ਸੰਪਤਿ ਰਾਸਿ ॥ ਰਾਖਿ ਲੈਹੁ ਭਾਈ ਮੇਰੇ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਆਗੈ ਅਰਦਾਸਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਜੋ ਮਾਗਉ ਸੋਈ ਸੋਈ ਪਾਵਉ ਅਪਨੇ ਖਸਮ ਭਰੋਸਾ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਓ ਮਿਟਿਓ ਸਗਲ ਅੰਦੇਸਾ ॥ ੨ ॥ ੧੪ ॥ ੪੨ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਗੁਰੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਅਪਨਾ ਸਗਲਾ ਦੂਖੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥ ਤਾਪ ਰੋਗ ਗਏ ਗੁਰ ਬਚਨੀ ਮਨ ਇਛੇ ਫਲ ਪਾਇਆ ॥ ੧ ॥
ਮੇਰਾ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਸੁਖਦਾਤਾ ॥ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥ ਸੁਆਮੀ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖੁ ਬਿਧਾਤਾ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਅਨੰਦ ਬਿਨੋਦ ਮੰਗਲ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ॥ ਜੈ ਜੈ ਕਾਰ ਭਏ ਜਗ ਭੀਤਰਿ ਹੋਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਰਖਵਾਲਾ ॥ ੨ ॥ ੧੫ ॥ ੪੩ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਦੁਰਤੁ ਗਵਾਇਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪੇ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੁ ਉਬਾਰਿਆ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥
ਹੋਈ ਰਾਜੇ ਰਾਮ ਕੀ ਰਖਵਾਲੀ ॥ ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨਦ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਮਨੁ ਤਨੁ ਦੇਹ ਸੁਖਾਲੀ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਮੋਹਿ ਤਿਸ ਕਾ ਭਰਵਾਸਾ ॥ ਬਖਸਿ ਲਏ ਸਭਿ ਸਚੈ ਸਾਹਿਬਿ ਸੁਣਿ ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਾ ॥ ੨ ॥ ੧੭ ॥ ੪੫ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਬਖਸਿਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰਿ ਸਗਲੇ ਰੋਗ ਬਿਦਾਰੇ ॥ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਕੀ ਸਰਣੀ ਉਬਰੇ ਕਾਰਜ ਸਗਲ ਸਵਾਰੇ ॥ ੧ ॥
ਹਰਿ ਜਨਿ ਸਿਮਰਿਆ ਨਾਮ ਅਧਾਰਿ ॥ ਤਾਪੁ ਉਤਾਰਿਆ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਦਾ ਅਨੰਦ ਕਰਹ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਗੁਰਿ ਰਾਖਿਆ ॥ ਵਡੀ ਵਡਿਆਈ ਨਾਨਕ ਕਰਤੇ ਕੀ ਸਾਚੁ ਸਬਦੁ ਸਤਿ ਭਾਖਿਆ ॥ ੨ ॥ ੧੮ ॥ ੪੬ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੇ ਤਿਤੁ ਸਾਚੈ ਦਰਬਾਰਿ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਭਾਈ ਠਾਂਢਿ ਪਈ ਸੰਸਾਰਿ ॥ ਅਪਣੇ ਜੀਅ ਜੰਤ ਆਪੇ ਰਾਖੇ ਜਮਹਿ ਕੀਓ ਹਟਤਾਰਿ ॥ ੧ ॥
ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਣ ਰਿਦੈ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥ ਸਦਾ ਸਦਾ ਪ੍ਰਭੁ ਸਿਮਰੀਐ ਭਾਈ ਦੁਖ ਕਿਲਬਿਖ ਕਾਟਣਹਾਰੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਤਿਸ ਕੀ ਸਰਣੀ ਊਬਰੈ ਭਾਈ ਜਿਨਿ ਰਚਿਆ ਸਭੁ ਕੋਇ ॥ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥੁ ਸੋ ਭਾਈ ਸਚੈ ਸਚੀ ਸੋਇ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਈਐ ਭਾਈ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਹੋਇ ॥ ੨ ॥ ੧੯ ॥ ੪੭ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ॥ ਸੁਖ ਸਾਗਰ ਪ੍ਰਭੁ ਵਿਸਰਉ ਨਾਹੀ ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ਦੁਖੁ ਮਿਟਿਆ ਸਭ ਪਰਵਾਰੀ ॥ ੧ ॥
ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਮੰਗਲ ਰਸ ਰੂਪਾ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੋ ॥ ਨਾਨਕ ਪਤਿ ਰਾਖੀ ਪਰਮੇਸਰਿ ਉਧਰਿਆ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੋ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥ ੪੮ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਰਖਵਾਲਾ ਹੋਆ ॥ ਧਾਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਪ੍ਰਭ ਹਾਥ ਦੇ ਰਾਖਿਆ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਨਵਾ ਨਿਰੋਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਤਾਪੁ ਗਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ਮਿਟਾਇਆ ਜਨ ਕੀ ਲਾਜ ਰਖਾਈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਤੇ ਸਭ ਫਲ ਪਾਏ ਸਤਿਗੁਰ ਕੈ ਬਲਿ ਜਾਂਈ ॥ ੧ ॥
ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਪ੍ਰਭ ਦੋਵੈ ਸਵਾਰੇ ਹਮਰਾ ਗੁਣੁ ਅਵਗੁਣੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ਅਟਲ ਬਚਨੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਤੇਰਾ ਸਫਲ ਕਰੁ ਮਸਤਕਿ ਧਾਰਿਆ ॥ ੨ ॥ ੨੧ ॥ ੪੯ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਜੀਅ ਜੰਤ੍ਰ ਸਭਿ ਤਿਸ ਕੇ ਕੀਏ ਸੋਈ ਸੰਤ ਸਹਾਈ ॥ ਅਪੁਨੇ ਸੇਵਕ ਕੀ ਆਪੇ ਰਾਖੈ ਪੂਰਨ ਭਈ ਬਡਾਈ ॥ ੧ ॥
ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਾ ਮੇਰੈ ਨਾਲਿ ॥ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪੂਰੀ ਸਭ ਰਾਖੀ ਹੋਏ ਸਰਬ ਦਇਆਲ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਅਨਦਿਨੁ ਨਾਨਕੁ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ਜੀਅ ਪ੍ਰਾਨ ਕਾ ਦਾਤਾ ॥ ਅਪੁਨੇ ਦਾਸ ਕਉ ਕੰਠਿ ਲਾਇ ਰਾਖੈ ਜਿਉ ਬਾਰਿਕ ਪਿਤ ਮਾਤਾ ॥ ੨ ॥ ੨੨ ॥ ੫੦ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਠਾਢਿ ਪਾਈ ਕਰਤਾਰੇ ॥ ਤਾਪੁ ਛੋਡਿ ਗਇਆ ਪਰਵਾਰੇ ॥ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਹੈ ਰਾਖੀ ॥ ਸਰਣਿ ਸਚੇ ਕੀ ਤਾਕੀ ॥ ੧ ॥
ਪਰਮੇਸਰੁ ਆਪਿ ਹੋਆ ਰਖਵਾਲਾ ॥ ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਸੁਖ ਖਿਨ ਮਹਿ ਉਪਜੇ ਮਨੁ ਹੋਆ ਸਦਾ ਸੁਖਾਲਾ ॥ ਰਹਾਉ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦੀਓ ਦਾਰੂ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲਾ ਰੋਗੁ ਬਿਦਾਰੂ ॥ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਬਾਤ ਸਵਾਰੀ ॥ ੨ ॥
ਪ੍ਰਭਿ ਅਪਨਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ਹਮਰਾ ਗੁਣੁ ਅਵਗੁਣੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ਗੁਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਭਇਓ ਸਾਖੀ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਲਾਜ ਰਾਖੀ ॥ ੩ ॥
ਬੋਲਾਇਆ ਬੋਲੀ ਤੇਰਾ ॥ ਤੂ ਸਾਹਿਬੁ ਗੁਣੀ ਗਹੇਰਾ ॥ ਜਪਿ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਸਚੁ ਸਾਖੀ ॥ ਅਪੁਨੇ ਦਾਸ ਕੀ ਪੈਜ ਰਾਖੀ ॥ ੪ ॥ ੬ ॥ ੫੬ ॥
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ ॥ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਿਹ ॥
(3) Dukh Bhanjani Sahib Path PDF In English
PDF Name | Dukh Bhanjani Sahib |
Total Pages | 14 |
PDF Size | 74 KB |
File Maker | Beinghindi |
Language | English |
Provider | Sabsastaa |
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Goudee Mehalaa 5 Maanjh ||
Dhukh Bhanjan Thaeraa Naam Jee Dhukh Bhanjan Thaeraa Naam ||
Aath Pehar Aaraadhheeai Pooran Sathigur Giaan ||1||
Rahau ||
Jith Ghatt Vasai Paarabreham Soee Suhaavaa Thhaao ||
Jam Kankar Naerr N Aavee Rasanaa Har Gun Gaao ||1||
Saevaa Surath N Jaaneeaa Naa Jaapai Aaraadhh ||
Outt Thaeree Jagajeevanaa Maerae Thaakur Agam Agaadhh ||2||
Bheae Kirapaal Gusaaeeaa Nathae Sog Santhaap ||
Thathee Vaao N Lagee Sathigur Rakhae Aap ||3||
Gur Naaraaein Dhay Gur Gur Sachaa Sirajanehaar ||
Gur Thuthai Sabh Kishh Paaeiaa Jan Naanak Sadh Balihaar ||4||2||170||
Goudee Mehalaa 5 ||
Sookae Harae Keeeae Khin Maahae ||
Anmrith Dhrisatt Sanch Jeevaaeae ||1||
Kaattae Kasatt Poorae Guradhaev ||
Saevak Ko Dheenee Apunee Saev ||1||
Rahau ||
Mitt Gee Chinth Punee Man Aasaa ||
Karee Dhaeiaa Sathigur Gunathaasaa ||2||
Dhukh Naathae Sukh Aae Samaaeae ||
Dteel N Paree Jaa Gur Furamaaeae ||3||
Eishh Punee Poorae Gur Milae ||
Naanak Thae Jan Sufal Falae ||4||58||127||
Goudee Mehalaa 5 ||
Thaap Geae Paaee Prabh Saanth ||
Seethal Bheae Keenee Prabh Dhaath ||1||
Prabh Kirapaa Thae Bheae Suhaelae ||
Janam Janam Kae Bishhurae Maelae ||1||
Rahau ||
Simarath Simarath Prabh Kaa Naao ||
Sagal Rog Kaa Binasiaa Thhaao ||2||
Sehaj Subhaae Bolai Har Baanee ||
Aath Pehar Prabh Simarahu Praanee ||3||
Dhookh Dharadh Jam Naerr N Aavai ||
Kahu Naanak Jo Har Gun Gaavai ||4||59||128||
Goudee Mehalaa 5 ||
Kott Bighan Hirae Khin Maahi ||
Har Har Kathhaa Saadhhasang Sunaahi ||1||
Peevath Raam Ras Anmrith Gun Jaas ||
Jap Har Charan Mittee Khudhh Thaas ||1||
Rahau ||
Sarab Kaliaan Sukh Sehaj Nidhhaan ||
Jaa Kai Ridhai Vasehi Bhagavaan ||2||
Aoukhadhh Manthr Thanth Sabh Shhaar ||
Karanaihaar Ridhae Mehi Dhhaar ||3||
Thaj Sabh Bharam Bhajiou Paarabreham ||
Kahu Naanak Attal Eihu Dhharam ||4||80||149||
Goudee Mehalaa 5 ||
Saanth Bhee Gur Gobidh Paaee ||
Thaap Paap Binasae Maerae Bhaaee ||1||
Rahau ||
Raam Naam Nith Rasan Bakhaan ||
Binasae Rog Bheae Kaliaan ||1||
Paarabreham Gun Agam Beechaar ||
Saadhhoo Sangam Hai Nisathaar ||2||
Niramal Gun Gaavahu Nith Neeth ||
Gee Biaadhh Oubarae Jan Meeth ||3||
Man Bach Kram Prabh Apanaa Dhhiaaee ||
Naanak Dhaas Thaeree Saranaaee ||4||102||171||
Goudee Mehalaa 5 ||
Naethr Pragaas Keeaa Guradhaev ||
Bharam Geae Pooran Bhee Saev ||1||
Rahau ||
Seethalaa Thae Rakhiaa Bihaaree ||
Paarabreham Prabh Kirapaa Dhhaaree ||1||
Naanak Naam Japai So Jeevai ||
Saadhhasang Har Anmrith Peevai ||2|
Goudee Mehalaa 5 ||
Thhir Ghar Baisahu Har Jan Piaarae ||
Sathigur Thumarae Kaaj Savaarae ||1||
Rahau ||
Dhusatt Dhooth Paramaesar Maarae ||
Jan Kee Paij Rakhee Karathaarae ||1||
Baadhisaah Saah Sabh Vas Kar Dheenae ||
Anmrith Naam Mehaa Ras Peenae ||2||
Nirabho Hoe Bhajahu Bhagavaan ||
Saadhhasangath Mil Keeno Dhaan ||3||
Saran Parae Prabh Antharajaamee ||
Naanak Outt Pakaree Prabh Suaamee ||4||108||
Goudee Mehalaa 5 ||
Raakh Pithaa Prabh Maerae ||
Mohi Niragun Sabh Gun Thaerae ||1||
Rahau||
Panch Bikhaadhee Eaek Gareebaa Raakhahu Raakhanehaarae ||
Khaedh Karehi Ar Bahuth Santhaavehi Aaeiou Saran Thuhaarae ||1||
Kar Kar Haariou Anik Bahu Bhaathee Shhoddehi Kathehoon Naahee ||
Eaek Baath Sun Thaakee Outtaa Saadhhasang Mitt Jaahee ||2||
Kar Kirapaa Santh Milae Mohi Thin Thae Dhheeraj Paaeiaa ||
Santhee Manth Dheeou Mohi Nirabho Gur Kaa Sabadh Kamaaeiaa ||3||
Jeeth Leae Oue Mehaa Bikhaadhee Sehaj Suhaelee Baanee ||
Kahu Naanak Man Bhaeiaa Paragaasaa Paaeiaa Padh Nirabaanee ||4||125||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Sarab Kaliaan Keeeae Guradhaev ||
Saevak Apanee Laaeiou Saev ||
Bighan N Laagai Jap Alakh Abhaev ||1||
Dhharath Puneeth Bhee Gun Gaaeae ||
Dhurath Gaeiaa Har Naam Dhhiaaeae ||1||
Rahau||
Sabhanee Thhaanee Raviaa Aap ||
Aadh Jugaadh Jaa Kaa Vadd Parathaap ||
Gur Parasaadh N Hoe Santhaap ||2||
Gur Kae Charan Lagae Man Meethae ||
Nirabighan Hoe Sabh Thhaanee Voothae ||
Sabh Sukh Paaeae Sathigur Thoothae ||3||
Paarabreham Prabh Bheae Rakhavaalae ||
Jithhai Kithhai Dheesehi Naalae ||
Naanak Dhaas Khasam Prathipaalae ||4||2||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Charan Kamal Prabh Hiradhai Dhhiaaeae ||
Rog Geae Sagalae Sukh Paaeae ||1||
Gur Dhukh Kaattiaa Dheeno Dhaan ||
Safal Janam Jeevan Paravaan ||1||
Rahau||
Akathh Kathhaa Anmrith Prabh Baanee ||
Kahu Naanak Jap Jeevae Giaanee ||2||2||20||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Saanth Paaee Gur Sathigur Poorae ||
Sukh Oupajae Baajae Anehadh Thoorae ||1||
Rahau ||
Thaap Paap Santhaap Binaasae ||
Har Simarath Kilavikh Sabh Naasae ||1||
Anadh Karahu Mil Sundhar Naaree ||
Gur Naanak Maeree Paij Savaaree ||2||3||21||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Sagal Anandh Keeaa Paramaesar Apanaa Biradh Samhaariaa ||
Saadhh Janaa Hoeae Kirapaalaa Bigasae Sabh Paravaariaa ||1||
Kaaraj Sathigur Aap Savaariaa ||
Vaddee Aarajaa Har Gobindh Kee Sookh Mangal Kaliaan Beechaariaa ||1||
Rahau||
Van Thrin Thribhavan Hariaa Hoeae Sagalae Jeea Saadhhaariaa ||
Man Eishhae Naanak Fal Paaeae Pooran Eishh Pujaariaa ||2||5||23||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Rog Gaeiaa Prabh Aap Gavaaeiaa ||
Needh Pee Sukh Sehaj Ghar Aaeiaa ||1||
Rahau ||
Raj Raj Bhojan Khaavahu Maerae Bhaaee ||
Anmrith Naam Ridh Maahi Dhhiaaee ||1||
Naanak Gur Poorae Saranaaee ||
Jin Apanae Naam Kee Paij Rakhaaee ||2||8||26||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Thaap Santhaap Sagalae Geae Binasae Thae Rog ||
Paarabreham Thoo Bakhasiaa Santhan Ras Bhog ||
Rahau ||
Sarab Sukhaa Thaeree Manddalee Thaeraa Man Than Aarog ||
Gun Gaavahu Nith Raam Kae Eih Avakhadh Jog ||1||
Aae Basahu Ghar Dhaes Mehi Eih Bhalae Sanjog ||
Naanak Prabh Suprasann Bheae Lehi Geae Bioug ||2||10||28||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Bandhhan Kaattae Aap Prabh Hoaa Kirapaal ||
Dheen Dhaeiaal Prabh Paarabreham Thaa Kee Nadhar Nihaal ||1||
Gur Poorai Kirapaa Karee Kaattiaa Dhukh Rog ||
Man Than Seethal Sukhee Bhaeiaa Prabh Dhhiaavan Jog ||1||
Rahau ||
Aoukhadhh Har Kaa Naam Hai Jith Rog N Viaapai ||
Saadhhasang Man Than Hithai Fir Dhookh N Jaapai ||2||
Har Har Har Har Jaapeeai Anthar Liv Laaee ||
Kilavikh Outharehi Sudhh Hoe Saadhhoo Saranaaee ||3||
Sunath Japath Har Naam Jas Thaa Kee Dhoor Balaaee ||
Mehaa Manthra Naanak Kathhai Har Kae Gun Gaaee ||4||23||53||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Har Har Har Aaraadhheeai Hoeeai Aarog ||
Raamachandh Kee Lasattikaa Jin Maariaa Rog ||1||
Rahau ||
Gur Pooraa Har Jaapeeai Nith Keechai Bhog ||
Saadhhasangath Kai Vaaranai Miliaa Sanjog ||1||
Jis Simarath Sukh Paaeeai Binasai Bioug ||
Naanak Prabh Saranaagathee Karan Kaaran Jog ||2||34||64||
Raag Bilaaval Mehalaa 5 Dhupadhae Ghar 5
Ik Oankaar Sathigur Prasaadh ||
Avar Oupaav Sabh Thiaagiaa Dhaaroo Naam Laeiaa ||
Thaap Paap Sabh Mittae Rog Seethal Man Bhaeiaa ||1||
Gur Pooraa Aaraadhhiaa Sagalaa Dhukh Gaeiaa ||
Raakhanehaarai Raakhiaa Apanee Kar Maeiaa ||1||
Rahau ||
Baah Pakarr Prabh Kaadtiaa Keenaa Apanaeiaa ||
Simar Simar Man Than Sukhee Naanak Nirabhaeiaa ||2||1||65||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Rog Mittaaeiaa Aap Prabh Oupajiaa Sukh Saanth ||
Vadd Parathaap Acharaj Roop Har Keenhee Dhaath ||1||
Gur Govindh Kirapaa Karee Raakhiaa Maeraa Bhaaee ||
Ham This Kee Saranaagathee Jo Sadhaa Sehaaee ||1||
Rahau ||
Birathhee Kadhae N Hovee Jan Kee Aradhaas ||
Naanak Jor Govindh Kaa Pooran Gunathaas ||2||13||77||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Thaathee Vaao N Lagee Paarabreham Saranaaee ||
Chougiradh Hamaarai Raam Kaar Dhukh Lagai N Bhaaee ||1||
Sathigur Pooraa Bhaettiaa Jin Banath Banaaee ||
Raam Naam Aoukhadhh Dheeaa Eaekaa Liv Laaee ||1||
Rahau ||
Raakh Leeeae Thin Rakhanehaar Sabh Biaadhh Mittaaee ||
Kahu Naanak Kirapaa Bhee Prabh Bheae Sehaaee ||2||15||79||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Apanae Baalak Aap Rakhian Paarabreham Guradhaev ||
Sukh Saanth Sehaj Aanadh Bheae Pooran Bhee Saev ||1||
Rahau ||
Bhagath Janaa Kee Baenathee Sunee Prabh Aap ||
Rog Mittaae Jeevaalian Jaa Kaa Vadd Parathaap ||1||
Dhokh Hamaarae Bakhasian Apanee Kal Dhhaaree ||
Man Baanshhath Fal Dhithian Naanak Balihaaree ||2||16||80||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Thaap Laahiaa Gur Sirajanehaar ||
Sathigur Apanae Ko Bal Jaaee Jin Paij Rakhee Saarai Sansaar ||1||
Rahau ||
Kar Masathak Dhhaar Baalik Rakh Leeno ||
Prabh Anmrith Naam Mehaa Ras Dheeno ||1||
Dhaas Kee Laaj Rakhai Miharavaan ||
Gur Naanak Bolai Dharageh Paravaan ||2||6||86||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Thaap Paap Thae Raakhae Aap ||
Seethal Bheae Gur Charanee Laagae Raam Naam Hiradhae Mehi Jaap ||1||
Rahau ||
Kar Kirapaa Hasath Prabh Dheenae Jagath Oudhhaar Nav Khandd Prathaap ||
Dhukh Binasae Sukh Anadh Pravaesaa Thrisan Bujhee Man Than Sach Dhhraap ||1||
Anaathh Ko Naathh Saran Samarathhaa Sagal Srisatt Ko Maaee Baap ||
Bhagath Vashhal Bhai Bhanjan Suaamee Gun Gaavath Naanak Aalaap ||2||20||106||
Sorath Mehalaa 5 ||
Kar Eisanaan Simar Prabh Apanaa Man Than Bheae Arogaa ||
Kott Bighan Laathhae Prabh Saranaa Pragattae Bhalae Sanjogaa ||1||
Prabh Baanee Sabadh Subhaakhiaa ||
Gaavahu Sunahu Parrahu Nith Bhaaee Gur Poorai Thoo Raakhiaa ||
Rahau ||
Saachaa Saahib Amith Vaddaaee Bhagath Vashhal Dhaeiaalaa ||
Santhaa Kee Paij Rakhadhaa Aaeiaa Aadh Biradh Prathipaalaa ||2||
Har Anmrith Naam Bhojan Nith Bhunchahu Sarab Vaelaa Mukh Paavahu ||
Jaraa Maraa Thaap Sabh Naathaa Gun Gobindh Nith Gaavahu ||3||
Sunee Aradhaas Suaamee Maerai Sarab Kalaa Ban Aaee ||
Pragatt Bhee Sagalae Jug Anthar Gur Naanak Kee Vaddiaaee ||4||11||
Sorath Mehalaa 5 ||
Sookh Mangal Kaliaan Sehaj Dhhun Prabh Kae Charan Nihaariaa ||
Raakhanehaarai Raakhiou Baarik Sathigur Thaap Outhaariaa ||1||
Oubarae Sathigur Kee Saranaaee ||
Jaa Kee Saev N Birathhee Jaaee ||
Rahau ||
Ghar Mehi Sookh Baahar Fun Sookhaa Prabh Apunae Bheae Dhaeiaalaa ||
Naanak Bighan N Laagai Kooo Maeraa Prabh Hoaa Kirapaalaa ||2||12||40||
Sorath Mehalaa 5 ||
Geae Kalaes Rog Sabh Naasae Prabh Apunai Kirapaa Dhhaaree ||
Aath Pehar Aaraadhhahu Suaamee Pooran Ghaal Hamaaree ||1||
Har Jeeo Thoo Sukh Sanpath Raas ||
Raakh Laihu Bhaaee Maerae Ko Prabh Aagai Aradhaas ||
Rahau||
Jo Maago Soee Soee Paavo Apanae Khasam Bharosaa ||
Kahu Naanak Gur Pooraa Bhaettiou Mittiou Sagal Andhaesaa ||2||14||42||
Sorath Mehalaa 5 ||
Simar Simar Gur Sathigur Apanaa Sagalaa Dhookh Mittaaeiaa ||
Thaap Rog Geae Gur Bachanee Man Eishhae Fal Paaeiaa ||1||
Maeraa Gur Pooraa Sukhadhaathaa ||
Karan Kaaran Samarathh Suaamee Pooran Purakh Bidhhaathaa ||
Rahau ||
Anandh Binodh Mangal Gun Gaavahu Gur Naanak Bheae Dhaeiaalaa ||
Jai Jai Kaar Bheae Jag Bheethar Hoaa Paarabreham Rakhavaalaa ||2||15||43||
Sorath Mehalaa 5 ||
Dhurath Gavaaeiaa Har Prabh Aapae Sabh Sansaar Oubaariaa ||
Paarabreham Prabh Kirapaa Dhhaaree Apanaa Biradh Samaariaa ||1||
Hoee Raajae Raam Kee Rakhavaalee ||
Sookh Sehaj Aanadh Gun Gaavahu Man Than Dhaeh Sukhaalee ||
Rahau||
Pathith Oudhhaaran Sathigur Maeraa Mohi This Kaa Bharavaasaa ||
Bakhas Leae Sabh Sachai Saahib Sun Naanak Kee Aradhaasaa ||2||17||45||
Sorath Mehalaa 5 ||
Bakhasiaa Paarabreham Paramaesar Sagalae Rog Bidhaarae ||
Gur Poorae Kee Saranee Oubarae Kaaraj Sagal Savaarae ||1||
Har Jan Simariaa Naam Adhhaar ||
Thaap Outhaariaa Sathigur Poorai Apanee Kirapaa Dhhaar ||
Rahau||
Sadhaa Anandh Kareh Maerae Piaarae Har Govidh Gur Raakhiaa ||
Vaddee Vaddiaaee Naanak Karathae Kee Saach Sabadh Sath Bhaakhiaa ||2||18||46||
Sorath Mehalaa 5 ||
Bheae Kirapaal Guroo Govindhaa Sagal Manorathh Paaeae ||
Asathhir Bheae Laag Har Charanee Govindh Kae Gun Gaaeae ||1||
Bhalo Samoorath Pooraa ||
Saanth Sehaj Aanandh Naam Jap Vaajae Anehadh Thooraa ||1||
Rahau ||
Milae Suaamee Preetham Apunae Ghar Mandhar Sukhadhaaee ||
Har Naam Nidhhaan Naanak Jan Paaeiaa Sagalee Eishh Pujaaee ||2||8||36||
Sorath Mehalaa 5 ||
Santhahu Har Har Naam Dhhiaaee ||
Sukh Saagar Prabh Visaro Naahee Man Chindhiarraa Fal Paaee ||1||
Rahau ||
Sathigur Poorai Thaap Gavaaeiaa Apanee Kirapaa Dhhaaree ||
Paarabreham Prabh Bheae Dhaeiaalaa Dhukh Mittiaa Sabh Paravaaree ||1||
Sarab Nidhhaan Mangal Ras Roopaa Har Kaa Naam Adhhaaro ||
Naanak Path Raakhee Paramaesar Oudhhariaa Sabh Sansaaro ||2||20||48||
Sorath Mehalaa 5 ||
Jeea Janthr Sabh This Kae Keeeae Soee Santh Sehaaee ||
Apunae Saevak Kee Aapae Raakhai Pooran Bhee Baddaaee ||1||
Paarabreham Pooraa Maerai Naal ||
Gur Poorai Pooree Sabh Raakhee Hoeae Sarab Dhaeiaal ||1||
Rahau ||
Anadhin Naanak Naam Dhhiaaeae Jeea Praan Kaa Dhaathaa ||
Apunae Dhaas Ko Kanth Laae Raakhai Jio Baarik Pith Maathaa ||2||22||50||
Sorath Mehalaa 5 ||
Thaadt Paaee Karathaarae ||
Thaap Shhodd Gaeiaa Paravaarae ||
Gur Poorai Hai Raakhee ||
Saran Sachae Kee Thaakee ||1||
Paramaesar Aap Hoaa Rakhavaalaa ||
Saanth Sehaj Sukh Khin Mehi Oupajae Man Hoaa Sadhaa Sukhaalaa ||
Rahau ||
Har Har Naam Dheeou Dhaaroo ||
Thin Sagalaa Rog Bidhaaroo ||
Apanee Kirapaa Dhhaaree ||
Thin Sagalee Baath Savaaree ||2||
Prabh Apanaa Biradh Samaariaa ||
Hamaraa Gun Avagun N Beechaariaa ||
Gur Kaa Sabadh Bhaeiou Saakhee ||
Thin Sagalee Laaj Raakhee ||3||
Bolaaeiaa Bolee Thaeraa ||
Thoo Saahib Gunee Gehaeraa ||
Jap Naanak Naam Sach Saakhee ||
Apunae Dhaas Kee Paij Raakhee ||4||6||56||
Bilaavalu Mehalaa 5 ||
Aagai Paashhai Kusal Bhaeiaa ||
Gur Poorai Pooree Sabh Raakhee Paarabreham Prabh Keenee Maeiaa ||1||
Rahau ||
Man Than Rav Rehiaa Har Preetham Dhookh Dharadh Sagalaa Mitt Gaeiaa ||
Saanth Sehaj Aanadh Gun Gaaeae Dhooth Dhusatt Sabh Hoeae Khaeiaa ||1||
Gun Avagun Prabh Kashh N Beechaariou Kar Kirapaa Apunaa Kar Laeiaa ||
Athul Baddaaee Achuth Abinaasee Naanak Oucharai Har Kee Jaeiaa ||2||8||124||
दुख भंजनी साहिब पाठ के लाभ
इस महत्वपूर्ण रचना का पाठ करने पर व्यक्ति को कही तरह के लाभ प्राप्त होते है। जैसे,
- पाठ में भगवान की महिमा और उनके गुणों की बाते है, जो मन को शांति देते हैं।
- रचना में दिए शब्द जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मददगार है।
- पाठ द्वारा मनुष्य अपनी कठिन पीड़ाये एंव दुखो से मुक्ति की प्रार्थना कर सकता है।
- भगवान के प्रति आस्था बढ़ती है और विशेष आद्यात्मिक प्रगति होती है।
- नित्य पाठ से कही तरह के गंभीर रोग एंव शारीरिक समस्या में राहत मिलती है।
दुख भंजनी साहिब पाठ का महत्त्व
विश्व का संपूर्ण सिक्ख समुदाय, दुख भंजनी साहिब पाठ को बहुत श्रद्धा और आदर से पढ़ता है। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को शांति, सुख और खुशी पाने में मदद करना है। इस पाठ का विशेष महत्व दुखों और चिंताओं को दूर करने में भी है। गुरु अर्जुन देवजी ने इस पाठ में ईश्वर की महानता, कृपा और दया का चित्रण किया है।
दुख भंजनी साहिब पाठ को समझने और पढ़ने के लिए पाठक को गुरु ग्रंथ साहिब की भावनाओं और विचारों को समझना होगा। श्रद्धालु इस पाठ को पढ़कर अपनी मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों को विकसित कर सकते हैं। साथ ही जीवन में आने वाली चुनौतियों को हल कर सकते हैं।
सुंदर भवन गुरुद्वारा में दुख भंजनी साहिब का पाठ करते समय, श्रद्धालु अपने अंतरात्मा से एकता महसूस करते हैं। इस पाठ को एक विशिष्ट धार्मिक पाठ बनाने के लिए उसके शब्दों में मानवता के महत्वपूर्ण पाठ सिद्धांतों को बयां करने की क्षमता है।
सवाल जवाब (FAQ)
यहाँ दुख भंजनी साहिब पाठ से सम्बंधित जरुरी प्रश्नो के उत्तर बताये है।
(1) दुख भंजनी के लेखक कौन है?
सिख गुरबाणी दुख भंजनी पाठ को गुरु अर्जन देवजी ने लिखा था।
(2) दुख भंजनी पाठ से क्या लाभ होता है?
मनुष्य अपने जीवन में कही दुखो का बोझ लेकर चलता है। ऐसे में इस गुरबाणी के पाठ द्वारा वह दुखो से मुक्ति पा सकता है।
(3) दुख भंजनी कौन से समय पढ़े?
किताब के इन महावाक्यों को आप सूर्योदय के समय पढ़े तो अच्छा है। वैसे इसे दिन में किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।
आशा करता हु Dukh Bhanjani Sahib Path PDF द्वारा आप जब चाहे तब रचना का लाभ उठा पाएंगे। इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने सभी दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।