यहाँ से आप Original Nilavanti Granth PDF डाउनलोड कर सकते है, जिसे एक साधु ने संस्कृत भाषा में लिखा है। यह भारत का सबसे रहस्यमयी और चमत्कारी ग्रन्थ है। जिसे पढ़ने पर हम सभी जिव-जंतुओं की भाषा समझने लगते है।
अधिकांश लोग मुख्य 3 फायदों के कारण निलावन्ती ग्रन्थ पढ़ना चाहते है।
- सभी जीवो की भाषा या बात समझने के लिए।
- खुद को समृद्धि एंव अमीरी की तरफ ले जाने में।
- समग्र विश्व ज्ञान आसानी से प्राप्त करने के लिए।
इतिहास के किस्से और कहानियां बताती है की यह फायदे पाना कठिन है। क्यों की शायद ही कोई इन विशेष लाभ तक पहुंच पाता है। यह एक शापित ग्रन्थ है, जिससे दो बड़े नुकसान होने की संभावना रहती है।
- बुक अधूरा पढ़ने पर इंसान पागल हो जाता है।
- अधिकांश लोग ज्ञान जानने के बाद मर जाते है।
असल में यह किताब लोगो के जीवन में उन्नति और ज्ञान का प्रसार करने के लिए बनायीं थी। लेकिन एक श्राप के चलते अब इस किताब द्वारा लाभ पाना मुश्किल है।
इन्ही कारणों से Nilavanti Book किसी भी जगह पर आसानी से नहीं मिलती। साथ ही यह भी कहा जाता है की भारत सरकार ने इस किताब पर बैन (प्रतिबंध) लगाया है।
Nilavanti Granth PDF In Hindi
आपकी बेहतर सहायता के लिए हमने यहाँ 2 प्रकार की निलावन्ती बुक दर्शायी है।
- ओरिजिनल बुक
- कहानी वाली बुक
ओरिजिनल में हमें केवल ग्रन्थ के 16 पन्ने ही मिले है, जिसमे वही है जो निलावन्ती ने बताया था। कहानी की किताब में निलावन्ती की संपूर्ण कहानी को दर्शाया है।
दोनों ही ग्रन्थ किताब को आप निचे दी गयी फ्री डाउनलोड लिंक्स द्वारा अपने मोबाइल में सेव कर सकते है।
(1) Original Nilavanti Granth
PDF Name | Original Nilavanti |
Total Pages | 16 |
PDF Size | 804 KB |
Language | Sanskrit |
File Maker | Vedic Sanskriti |
Provider | Sabsastaa |
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(2) Nilavanti Story Book PDF
PDF Name | Nilavanti Book |
Total Pages | 49 |
PDF Size | 9.93 MB |
Language | Hindi |
Location | Google Drive |
Provider | Sabsastaa |
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यदि आप बुक को ऑनलाइन आर्डर करना चाहते है। तो निचे निलावन्ती की 2 बेहतरीन किताब बताई है, जिसमे संपूर्ण कहानी पढ़ने मिलती है।
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श्रापित निलावंती ग्रंथ की पूरी कहानी
निलावन्ती ग्रन्थ के पीछे कही कहानियां छुपी है। इनमे से जो सबसे ज्यादा सटीक और लोगो द्वारा विश्वास प्राप्त कर चुकी कहानी है। उसको यहाँ हम संपूर्ण रूप से बता रहे है।
(1) निलावंती की सच्चाई
यह आज से बहुत पहले की बात है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे गाँव में एक आदमी था, जिसकी पत्नी और एक छोटी बच्ची थी। वह बच्ची पाँच वर्ष की हुई तब उसकी माँ मर गई। इस छोटी सी बच्ची का नाम निलावंती था। निलावंती की माँ मरने के बाद उसके पिता ने उस गाँव छोड़कर उसे दूसरे गाँव में ले गए। निलावंती के पिता को आर्युवेद का बहुत ज्ञान था। साथ ही, निलावंती अपने पिता से आर्युवेद का ज्ञान प्राप्त करती थी। निलावंती की एक खासियत थी कि वह पेड, पौधे, जानवर और पक्षियों की भाषा समझती थी।
यही नहीं, निलावंती के स्वप्न में शैतान भी आते थे और उसे जमीन के नीचे छिपे हुए धन के बारे में बताते थे। निलावंती के अंदर उसके पिता की अच्छी परवरिश थी, इसलिए वह सब कुछ जानते हुए भी धन को खोदकर नहीं निकालती थी। पीपल के पत्ते से बनाई गई किताब पर निलावंती को पेड पौधे और शैतान जो मंत्र देते थे, वे सब लिख लेती थी। जब निलावंती २० से २२ वर्ष की हो गई, तो उसके स्वप्न में आने वाले भूतप्रेत सच होने लगे।
बाद में, निलावन्ती को पता चला कि वह एक श्रापित यक्षिणी है और इसलिए उस दुनिया में नहीं जा पाती थी जहां वह होनी चाहिए थी। उसने यह सब अपने पिताजी को बताया। निलावन्ती के पिता को उसकी बताई बात का पता चला, वे उसे बताते हैं कि अगर वह इस दुनिया में नहीं है और एक श्राप के कारण आई है और इसमें फसी हुई है, तो वह अपनी इच्छा से चली जा सकती है।
(2) व्यापारी और निलावंती का विवाह
फिर निलावंती उस गांव से चली गई और रास्ते में एक व्यापारी से मिली। निलावंती ने उस व्यापारी को दूसरे गांव में जाने के लिए कहा क्योंकि एक अच्छी आत्मा ने कहा था कि 35 मील दूर एक दूसरा गांव है। जहां एक बरगद का पेड़ है, वहा पर तुम्हे अपने रक्त के साथ पशु-पक्षिओ की भी बलि देनी होगी।
इसी बात को ध्यान मे रखते हुये निलावंती उस व्यापारी से उस गाँव मे चलने के लिये कहती है। व्यापारी निलावंती को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है और कहता है कि मैं तुम्हें उस गाँव छोड़ दूँगा लेकिन बदले में तुम मुझसे शादी करनी होगी। ठीक है मुझे मंजूर है, लेकिन मेरी एक शर्त है कि मैं रात को तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी, निलावंती ने मुसकराते हुए कहा। साथ ही कहा मैं क्या करती हूँ इसके बारे में तुम मुझसे कुछ नहीं पूछोगे।
व्यापारी ने कहा कि मैं आपकी बात से सहमत हूँ। व्यापारी निलावंती को उसके बैलगाड़ी पर बिठाकर वह उस गाँव में ले गया। फिर निलावंती ने शर्तों के अनुसार उस व्यपारी से विवाह कर लिया। निलावंती हर रात बरगद के पेड के नीचे जाती थी, जहां वह अपना रक्त और पशु पक्षियों की बली चढ़ाती थी। उस गाँव के कुछ लोगों ने एक रात निलावंती को पशु पक्षियों को मारते हुए देखा। जब वह तंत्रमंत्र उस बरगद के पेड के नीचे कर रही थी, वे उस व्यापारी को जाकर सब कुछ बताते हैं।
(3) निलावंती की तंत्रसाधना
व्यापारी भी निलावंती को अगली रात अपने समय पर तंत्रसाधना करते हुए देखता है। अगले दिन, निलावंती के सपने में शैतान आता है और बताता है। निलावंती कल जब तुम तंत्रसाधना करने के लिए बरगद के पेड के नीचे जाओगे तो बरगद के पेड के बगल से बहने वाली नदी में एक लाश बहती हुई दिखाई देगी। उस लाश के गले में एक ताबीज होगा, जिसे खोलना होगा।
ताबीज को गले से निकालने के बाद उसी नदी में एक नाव पर सवार आदमी मिलेगा। आपको ताबीज को उस आदमी को देना होगा, जो आपको दूसरी दुनिया में जाने में मदद करेगा। उस शैतान ने निलावंती को बताया कि उसे अपनी दुनिया में वापस लौटने का एकमात्र यही मौका मिलेगा, दूसरा नहीं मिलेगा।
निलावंती अगले दिन बहुत खुश हुई और रात को बरगद के पेड के नीचे चली गई। वह तंत्र साधना करते हुए नदी के किनारे एक लाश बहती हुई देखती है। जब वह अपने रक्त और पशु पक्षी की बली दे रही थी। तब वह लाश के पास जाकर ताबीज को निकालने की कोशिश करती है। वह असली शैतानी व्यापारी भी वहाँ आ गया।
वह पहली ताबीज की गाँठ खोलने के बाद दूसरी खोलने ही वाली थी कि गाँव के लोग आ गए और निलावंती को नरभक्षी समझकर कहने लगे कि ये दोनो शैतान हैं। ये दोनों सभी गाँव वालों को मार डालेंगे, इसलिए इन दोनो को मार डालो। गाँव के सभी लोगों ने अपने-अपने हथियार लेकर दोनों को दौड़ा दिया। निलावंती बच गई, लेकिन ग्रामवासियों ने व्यापारी रूपी राक्षस को मार डाला। मरने के दौरान राक्षस ने कहा था की, ये चमत्कारी किताब मुझे दे दो।
(4) निलावंती ग्रन्थ को बनाया
तब निलावंती ने इस किताब को श्रापित करते हुए कहा कि यदि यह शैतान को मिल गया तो यह पूरी दुनिया के लिये बेकार है। उसने कहा कि जिसने इसे लालच में पढ़कर पूरा पढ़ा, वह तुरंत मर जाएगा और जिसने इसे आधा पढ़कर बीच में छोड़ा, वह पागल हो जाएगा।
इस भयंकर श्राप के बाद निलावंती ने किताब को वही छोड़ दिया और चली गयी। आज तक कोई नहीं जानता की निलावंती कहा गयी और आगे उसके साथ क्या हुआ? यह भी कहा जाता है की आज तक निलावंती जीवित है और अपनी दुनिया में वापस जाने का मार्ग ढूंढ रही है।
आगे चल कर उस किताब के पन्ने हवा के कारण अलग-अलग दिशाओ में फ़ैल गए थे। वह कुछ साधु आये और उन्होंने उन पन्नो को जोड़ कर इस महान किताब को समझना। फिर उनमे से एक अच्छा साधु था, जिनके मन में बिलकुल भी लालच नहीं थी। उन्होंने संपूर्ण किताब को पढ़ कर इसका सरल अनुवाद करने का सोचा।
साधु जी ने बिलकुल ऐसा ही किया, इस किताब को लोक कल्याण के लिए वापस अनुवादित में बनाया। लेकिन बहुत से लोगो ने इसका अपनी लालच पूर्ण करने के लिए ही उपयोग किया। जिसके कारण अधिकतर लोगो के लिए किताब लाभकारी नहीं रही। अब आज के दिन ये किताब कहा है यह किसी को पाता नहीं।
निलावंती ग्रंथ से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी
कहा जाता है Nilavati Granth की मदद से मनुष्य विश्व के हर जिव की बात समझ सकता था। जिसके आधार पर वह दुनिया के कही रहस्यों को जान पाता। साथ ही इन रहस्यों की मदद से वह अपने आर्थिक जीवन को भी समृद्ध कर सकता था।
काल को नियंत्रित करने की इच्छा उतनी ही पुरानी है जितनी कि मनुष्य को काल का ज्ञान है। जब से मनुष्य ने काल के रहस्य को समझा है, तब से वह उसके साथ चलने की इच्छा पाले हुए है। समय या काल वास्तव में बहुत जटिल है, क्यों की इससे इतिहास बदल जाता है।
लेकीन यह सच है कि अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो आप ऐसा नहीं कर पायेंगे क्योंकि जब आप समय में पीछे जाते हैं और कुछ घटनाओं को बदलते हैं। तो पूरा इतिहास बदल जायेगा और आप भी बदल जायेंगे, मतलब आप इतिहास बदलने के लिये गये यह परिस्थिति ही नहीं होगी।
इसका सीधा अर्थ है कि अगर आपने समय नहीं बदला तो इतिहास वैसा ही रहेगा। इसी स्थान पर उस ग्रंथ का उद्घाटन होता है लोग समय बदलने के बारे में सोचते हैं, किताब पाठक को समय बदलने का साहस देती है। उसे अधिकार मिलता है कि वह दूसरों का इतिहास बदल सकता है।
यह सब सुना गया है अब तक किसी ने उस ग्रंथ को अपनी आँखों से नहीं देखा है, सिर्फ उसका नाम और उसके कारनामे सुने हैं। महाराष्ट्र के किसी भी गाँव में आप किसी बुढ़े से पूछेंगे तो वह आपको उस ग्रंथ के बारे में बता देंगे, लेकिन चेतावनी देंगे। उसे पढ़ने से पढ़ने वाले का वंश नष्ट हो जाएगा। मुख्य बात यह है कि यह ग्रंथ पढ़ने से पाठक पशुओं की भाषा समझने लगता है।
तांत्रिको में निलावंती ग्रंथ का महत्त्व
तांत्रिकी में हमेशा से माना जाता है कि पशुओं का समय मनुष्यों से अलग है। मानव काल एक दिन का हो सकता है, लेकिन चींटियों का काल कई सालों का हो सकता है। साथ ही, दूसरी मान्यता यह है कि समय उतना ही सुक्ष्म हो सकता है। यह सब सिर्फ तब होता है जब आप इस ग्रंथ को पाते हैं और इसे पढ़ने की कला सीखते हैं। क्योंकि अगर आप इसे पाते हैं तो वह मानव लिपि में नहीं लिखा गया है, पैशाच लिपी में लिखे हुए हैं।
पैशाच लिपि को जानने वाला कोई भी जीव नहीं है। यह भी कहा जाता है कि हिमालय की गुफा-कंधराओं में बैठे कई साधु-मुनियों को एक रहस्यमय लिपी आती है, लेकिन कहाँ है यह भी कोई नहीं जानता। पूरी बात यह है कि ग्रंथ कैसा है, कहाँ है, उसे पढ़ने का तरीका या उससे क्या किया जा सकता है। यह जानने से ही कोई भी उसे खोजने के लिए प्रेरित होता है।
निलावंती ग्रंथ के बारे में और एक प्रसिद्ध बात है कि आज भी एक जीवित व्यक्ति है, जिसे बाजिंद कहते हैं। वह महाबळेश्वर के जंगलों में रहता है। कहते हैं कि उसकी आयु एक हजार वर्ष से अधिक है। अब सबसे आसान तरीका यह है कि पहले बाजिंद को खोजे जाये जो जाननेवाला है। उसके पास से जो जानकारी मिलती है उसके आधार पर, मैं आपको बता दूँ कि जो लोग “नीळावंती” के पीछे थे, चाहे वे किसी भी समय या किसी भी जगह से थे। वे सभी महाबळेश्वर के जंगलो में जाते देखा गया था। उनमें से केवल दो लोगों को जाने के बाद फिर से देखा गया था, वे भी मृत अवस्था में थे। जबकि सैकड़ों लोगों का क्या हुआ पता नहीं था क्योंकि उनके शरीर या कोई अवशेष नहीं मिले।
Nilavanti Granth PDF पढ़ना चाहिए या नहीं
मुझे पता है आप सभी लोग निलावन्ती ग्रन्थ को पीडीएफ फाइल द्वारा पढ़ना चाहते है। तो हमारी जानकारी में डाउनलोड के लिए बताई दोनों फाइल को आप बिना किसी डर के पढ़ सकते है। दोनों ही फाइल पूरी तरह सुरक्षित है और इससे आपको कोई खतरा नहीं है।
अगर खतरा हो सकता है तो वह जो पुरानी और ओरिजिनल निलावन्ती बुक से है। जो की फ़िलहाल के समय में किसी भी प्लेटफार्म पर उपलब्ध नहीं है। ज्यादातर स्थानों पर किताब से जुडी कहानियों के बारे में बताई जानकारी ही उपलब्ध है। जिसे पढ़ने में किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
मार्किट में कुछ लोग निलावन्ती ग्रन्थ की फर्जी किताब बेच रहे है, बस उनसे सावधान होकर रहे। जो भी अभी उपलब्ध है वो आप इस वेबसाइट पर देख सकते है। इसके अलावा फर्जी चीज़ो में अपने पैसे बर्बाद करने की जरुरत नहीं।
सवाल जवाब (FAQ)
लोगो में निलावन्ती ग्रन्थ को लेकर कही प्रश्न है, जिनके उत्तर निचे बताये है।
(1) निलावन्ती ग्रंथ किसने लिखा था?
विशेष निलावन्ती ग्रन्थ किसने लिखा था, अभी तक उसकी कोई सही जानकारी नहीं है। सिर्फ इतना पता चलता है की यह नीलवन्ती के साथ हुई घटनाओ पर आधारित है।
(2) निलावन्ती ग्रन्थ पढ़ने से क्या होता है?
कहा जाता है यह ग्रन्थ पढ़ने पर हम जिव जन्तुओ की भाषा समझ सकते है। दुनिया में छुपी धन दौलत का पता लगाया जा सकता है।
(3) बिना नुकसान निलावंती ग्रंथ कैसे पढ़ें?
लोगो को लगता है ये ग्रन्थ पढ़ने पर हम मर जायेगे। लेकिन हमारी बताई PDF पढ़ने पर ऐसा कुछ नहीं होगा। आप बिना परेशानी इसे पढ़ पाएंगे, पर यह कुछ ही पन्नो का है।
आशा करता हु निलावन्ती ग्रन्थ के बारे में अच्छी जानकारी दे पाया हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।