क्या आप Shani Chalisa Hindi PDF Download करना चाहते है? तो बिलकुल सही जगह आये है। यहाँ दी गयी पीडीएफ फाइल में शनि चालीसा अर्थ सहित है। साथ ही इसमें शनि देव आरती और पूजा विधि की भी जानकारी है।
शनि देव एक ऐसे भगवान है जो संसार में रहे सभी जीवो को उनके कर्म अनुसार दंड देते है। इसीलिए कही लोग कहते है हमारे जीवन में शनि काल चल रहा है। यानी वह काल जिसमे उनके बुरे कर्मो का फल मिल रहा होता है।
यदि आपको भी लगता है की जीवन में शनि साढ़ेसाती के कारण कही परेशानियां आ रही है। तो रोजाना शनि चालीसा पढ़ना शुरू कर दीजिये। इससे हो सकता है शनि देव प्रसन्न हो जाये और आपकी समस्या दूर करे।
Shri Shani Chalisa Hindi PDF Download
Name | Shani Chalisa |
Pages | 16 |
Size | 0.85 MB |
Publisher | InstaPDF |
Location | Google Drive |
Provider | Sabsastaa |
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उपरोक्त शनि देव पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर के आप जब चाहे तब अपने मोबाइल में पढ़ सकते है। यदि आपको मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर पढ़ना अच्छा नहीं लगता। तो एक बेहतरीन Shani Chalisa Book खरीद लेनी चाहिए।
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इस बुक को ज्योतिषी गुरु गौरव आर्य ने तैयार किया है। अभी तक ज्यादातर ग्राहकों द्वारा किताब को अच्छे रिव्यु मिले है। चाहे तो आप भी अमेज़न पर जा कर देख सकते है।
शनि चालीसा अर्थ सहित (Shani Chalisa Lyrics Hindi)
श्री शनि देव चालीसा की शुरुआत एक विशेष दोहा द्वारा होती है, फिर संपूर्ण चौपाई है।
॥दोहा॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥
अर्थात : जय माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश। भगवान, तुम सब पर कृपा करने वाले हो, दुखी लोगों को राहत देकर उन्हें खुश करो। जय श्री शनिदेव! प्रभु, हमारी मांग सुनें! रविपुत्र कृपा करो! भक्तों की लाज रखो!
॥चौपाई॥
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥
परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥
अर्थात : हे दयालु शनिदेव महाराज, आप भक्तों को सदा बचाते हैं और उनके पालनहार हैं। आपका रंग श्याम है और आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी सुंदरता को बढ़ाता है। आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है और आपकी दृष्टि टेढ़ी रहती है। शनिदेव ने वरदान दिया था कि जिस पर भी उनकी दृष्टि पड़ेगी, उसका बुरा होगा। इसलिए आप हमेशा टेढ़ी दृष्टि से देखते हैं, ताकि आपकी सीधी दृष्टि किसी को नुकसान नहीं पहुंचाती। आपके कानों में सोने की चमक है, आपकी छाती पर मोतियों और मणियों का हार आपकी आभा बढ़ाता है। आपके हाथों में गदा, त्रिशूल और कुठार हैं, जो आपके शत्रुओं को तुरंत मार डाल सकते हैं।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥
पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥
अर्थात : आपका नाम पिंगल है, कृष्ण है, छाया नंदन है, यम है, कोणस्थ है, रौद्र है, दु:ख भंजन है, सौरी है, मंद है और शनि है। हे सूर्यपुत्र, आपको सभी कामों की सफलता के लिए श्रद्धांजलि दी जाती है। जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं या कृपालु होते हैं, वह तुरंत राजा बन जाता है। उस व्यक्ति को पहाड़ जैसी समस्या भी घास के तिनके सामान छोटी महसूस होती है। लेकिन जिस पर आप देव नाराज हो जांए तो छोटी समस्या भी पहाड़ बन जाती है।
॥चौपाई॥
राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥
बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥
रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥
दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥
हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥
विनय राग दीपक महँ कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥
अर्थात : राजा के स्थान पर भगवान श्री राम को भी वनवास की सजा दी गई, हे देव! आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा मूर्खतापूर्ण फैसला किया। माता सीता ने अपनी दुर्दशा के कारण वन में मायावी मृग के कपट को नहीं पहचान सका, इसलिए वह गिरफ्तार हुई। उनकी बुद्धिमत्ता भी काम नहीं आई। लक्ष्मण की हालत ने पूरे दल को भयभीत कर दिया और उनके जीवन को खतरा पैदा कर दिया। आपके कारण रावण ने भी ऐसा मूर्खतापूर्ण काम किया और श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि से लंका तबाह हो गई और बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बज गया। राजा विक्रमादित्य को अपने क्रोध से जंगलों में भटकना पड़ा। मोर के चित्र ने उनके सामने हार को निगल लिया और उन पर हार चुराने का आरोप लगाया गया। उनके हाथ-पैर की चोरी के आरोप में उनके हाथ-पैर तुड़वा दिए गए। तेली की दुर्दशा के कारण विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा। लेकिन जब उन्होंने दीपक राग में प्रार्थना की, तो आप प्रसन्न हो गए और फिर से उन्हें सुख समृद्धि से भर दिया।
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥
तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥
श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥
कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥
अर्थात : राजा हरिश्चंद्र की पत्नी भी आपकी हालत में बेच दी गई, और डोम के घर पर खुद को पानी देना पड़ा। राजा नल और रानी दयमंती को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा; रानी दयमंती भूखी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई, और राजा नल भूखों मर गया। आपकी हालत देखकर माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर जान देनी पड़ी। आपके क्रोध ने भगवान गणेश के सिर को धड़ से अलग करके आकाश में उड़ा दिया। तुम्हारी हालत पांडवों पर पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन बची। आपकी स्थिति ने कौरवों को भी मार डाला, जिससे महाभारत का युद्ध शुरू हुआ। आपने अपने पिता सूर्यदेव को स्वयं नहीं बख्शा, बल्कि उन्हें अपने मुख में लेकर पाताल में चले गए। आपने देवताओं से लाख विनती करने के बाद सूर्य देव को अपने मुख से बाहर निकाला।
॥चौपाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्ज हय गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥
अर्थात : प्रभु शनि देव, तुम्हारे सात वाहन हैं। ज्योतिषी आपके भविष्य का अनुमान लगाते हैं जैसे आप हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर पर बैठते हैं। यदि आप हाथी पर सवार होते हैं, तो लक्ष्मी घर में आती है। घोड़े पर बैठकर आना धन लाता है। यदि आप गधे पर सवार होते हैं तो आपको कई काम करने में कठिनाई होती है, लेकिन अगर आप शेर पर सवार होते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढ़ाते हैं और उसे प्रसिद्धि मिलती है। वहीं, अगर आप सियार पर सवारी करते हैं तो आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, और अगर आप हिरण पर सवारी करते हैं तो आप शारीरिक परेशानियों का सामना करेंगे जो जानलेवा हो सकते हैं। जब भी कोई कुत्ता सवार होता है, हे प्रभु, यह एक बड़ा संकेत है। ठीक उसी तरह, आपके चरण सोना, चांदी, तांबा, लोहा आदि चार प्रकार के धातु से बनाए गए हैं। लौहे का चरण धन, जनता या संपत्ति की हानि का संकेत है। यदि आप चांदी या तांबे के चरणों पर चलते हैं तो यह आम तौर पर शुभ होता है, लेकिन सोने के चरणों पर चलते हैं, तो यह हर तरह से शुभ होता है।
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
अर्थात : जो भी इस शनि चरित्र को हर दिन गाएगा, उसे आपकी विपत्ति का सामना नहीं करना पड़ेगा। उस पर भगवान शनि अपनी अद्भुत लीला दिखाते हैं और उसके शत्रुओं को पराजित करते हैं। बुलाकार विधि और नियमों के अनुसार शनि ग्रह को शांत करने के लिए किसी भी अच्छे और योग्य पंडित को अनुरोध करना चाहिए। शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल डालकर दिया जलाता है, तो वह बहुत खुश होता है। रामसुंदर, प्रभु शनिदेव का दास, कहता है कि भगवान शनि को देखना सुख देता है और ज्ञान का अंधेरा दूर होता है।
पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥
श्री शनि चालीसा आरती (Shri Shani Aarti Lyrics)
यदि आप शनि देव जी की सच्चे मन से पूजा करना चाहते है। तो निम्नलिखित श्री शनि आरती आपके लिए बेहद उपयोगी रहेगी।
जय जय श्री शनिदेवभक्तन हितकारी।
सूरज के पुत्र प्रभुछाया महतारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टिचतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथगज की असवारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
क्रीट मुकुट शीश सहजदिपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गलेशोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
मोदक और मिष्ठान चढ़े,चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़दमहिषी है अति प्यारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
देव दनुज ऋषि मुनिसुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हमहैं शरण तुम्हारी॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
श्री शनि चालीसा के फायदे क्या है
इंसान जाने या अनजाने भगवान की पूजा में भी यह सोचता है इससे उसे क्या फायदा होगा? तो इसी कारण आपको यहाँ श्री शनि चालीसा पढ़ने के फायदे बता रहे है।
- समझ आता है की हमें किस तरह के बुरे कर्मो से बचना चाहिए।
- चालीसा हमें जीवन में अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है।
- जीवन में लंबे समय से चल रही जटिल समस्याए दूर होती है।
- शनि महाराज की कृपा हो जाये तो कर्म की सजा कम होती है।
- पुरे दिन तन और मन हकारात्मक उर्जाओ से भरा रहता है।
- हम लोगो के प्रति दुश्मनी छोड़ कर अच्छा रिश्ता बनाते है।
श्री शनि देव की पूजा पाठ विधि
न्याय के देवता में शनि देव का नाम सर्वोच्च स्थान पर आता है। यदि आप चाहते है जीवन में आ रही परेशानियां दूर या कम हो जाये। तो कुछ सही नियम और विधि के साथ भगवान जी की पूजा करनी चाहिए।
- शनि देव की पूजा करने के लिए शनिवार का दिन सबसे अच्छा माना जाता है।
- इस दिन आपको सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर लेना है और स्वस्छ कपडे पहनने है।
- फिर मंदिर के स्थान को बिलकुल अच्छी तरह से साफ़ कर लीजिये।
- श्री शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिए हो सके तो सरसो तेल का दिया जलाए।
- यदि शनि जी का मंदिर न हो तो पीपल पेड़ के आगे भी दिया जला सकते है।
- आप शनि जी की पूजा बाद सरसों का तेल किसी गरीब को दान कर दीजिये।
- उपहार में शनि देव को तिल, काली उदड़ या कोई काली वस्तु दे सकते है।
- उपहार देने के बाद श्री शनि मंत्र या फिर शनि चालीसा का पूर्ण जाप करे।
- शनि पूजा के बाद शनिवार का दिन होने के कारण हनुमान से भी प्रार्थना करे।
- पूजा के दौरान आप चाहे तो शनि चालीसा आरती भी पढ़ सकते है।
यदि आप उपरोक्त बताये नियम अनुसार सही से पूजा विधि या पाठ करते है। तो शनि देव आप पर जरूर प्रसन्न हो कर जीवन की समस्याए दूर करेंगे।
आशा करता हु Shri Shani Chalisa Hindi की अच्छी जानकारी देने में सफल रहा हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।