हिन्दू धर्म अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पहले हम श्री गणेश जी को याद करते है। जिसके लिए आप Ganpati Aarti PDF Download कर सकते है। इससे जब चाहे तब गणपति आरती का उपयोग हो पायेगा।
भारत के अधिकांश लोगो को गणेश चतुर्थी पर्व पर गणपति आरती संग्रह की आवश्यकता होती है। इस आरती की मदद से सरलतापूर्वक श्री गणेश भगवान की पूजा की जा सकती है।
यहाँ हमने गणपति जी की आरती को 2 तरह से पेश किया है।
- PDF File
- Text File
नोट : पीडीएफ को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर के रख सकते हो। टेक्स्ट फाइल केवल हमारी वेबसाइट पर ही उपलब्ध रहेगी। दोनों में से बेहतर यही है की आप PDF Download कर लीजिये।
Ganpati Aarti PDF Download In Hindi
भारत में अधिकतर लोग श्री गणपति भगवान की 2 आरती का उपयोग करते है।
- सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची
- जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा
पहली आरती ज्यादातर महाराष्ट्र के मराठी लोग पढ़ना-गाना पसंद करते है। दूसरी आरती “जय गणेश” सर्व भारतीय जनता में लोकप्रिय है।
आपकी सही सहायता के लिए यहाँ दोनों Ganpati Aarti PDF File की डाउनलोड लिंक दी है।
सुखकर्ता दुखहर्ता आरती PDF
PDF Name | Sukhkarta Dukharta |
Total Pages | 9 HD Quality |
PDF Size | 1.03 MB |
File Maker | InstaPDF |
Location | Google Drive |
Provider | Sabsastaa |
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जय गणेश देवा आरती PDF
PDF Name | Jay Ganesh Deva |
Total Pages | 3 HD Quality |
PDF Size | 490 KB |
File Maker | InstaPDF |
Location | Google Drive |
Provider | Sabsastaa |
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श्री गणपति आरती संग्रह (Ganpati Aarti Lyrics)
भगवान गणेश जी की जितनी भी मुख्य आरती है, उन सभी के शब्द लिरिक्स लिखित में निचे दर्शाये है।
(1) सुखकर्ता दुखहर्ता
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची।
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची।
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥
जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥
रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा।
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा।
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा ।
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया।
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥
लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना ।
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा, वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना।
जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥
(2) जय गणेश देवा
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
“बोलो गणपति बाप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया”
(3) जय देव जय मंगलमूर्ती
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ।
तुझे गुण वर्णाया मज कैंची स्फूर्ती ॥ ध्रु० ॥
नानापरिमळ दूर्वा शमिपत्रें ।
लाडू मोदक अन्नें परिपूरित पातें ।
ऐसें पूजन केल्या बीजाक्षरमंत्रें ।
अष्टहि सिद्धी नवनिधि देसी क्षणमात्रें ॥१॥
तुझे ध्यान निरंतर जे कोणी करिती ।
त्यांची सकलहि पापें विघ्नेंही हरती ॥
वाजी वारण शिबिका सेवक सुत युवती ।
सर्वहि पावुनि अंती भवसागर तरती ॥ जय देव० ॥ २ ॥
शरणागत सर्वस्वे भजती तव चरणीं ।
कीर्ति तयांची राहे जोंवर शाशितरणी ॥
त्रैयोक्यों ते विजयी अद्भुत हे करणी ।
गोसावीनंदन रत नामस्मरणीम ॥ जय देव जय देव० ॥३॥
(4) शेंदूर लाल चढायो
जय जयजी गणराज विद्या सुखदाता ।
धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ॥ ध्रु० ॥
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरीहरको ॥
हाथ लिये गुडलड्डू साई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूँ पदको ॥१॥
अष्टी सिद्धी दासी संकटको बैरी ।
विघ्नविनाशन मंगलमूरत अधिकाई ॥
कोटीसुरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झुले शशिबहारी ॥जय० ॥२॥
भावभगतिसे कोई शारणागत आवे ।
संतति संपति सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भवे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ॥ जय० ॥३॥
श्री गणपति आरती के फायदे
भगवान श्री गणपति की आरती द्वारा मनुष्य कही तरह के लाभ प्राप्त कर सकता है। इस आरती द्वारा होने वाले मुख्य फायदे कुछ इस प्रकार है।
- आरती के दौरान गाए जाने वाले भजन और मंत्र चित्त को प्रसन्न करते हैं।
- गणपति आरती से मानसिक तनाव कम होता है और मन शांत रहता है।
- गणेश जी हमारे जीवन के सभी विघ्नों को दूर करने में सहायक बनते हैं।
- गणपति जी की आरती से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- शरीर और दिमाग का स्वास्थ्य बेहतर बनता है और जीवन सफल होता है।
श्री गणपति आरती का क्या महत्त्व है
गणेशजी की आरती करने वाले लोग आत्मिक शांति और सुकून पाते हैं। भक्तों को आरती के दौरान लयबद्ध भजनों से मन की व्यस्तता दूर होती है और वे गणेश जी पर केंद्रित होते हैं।
गणेश देवता सभी बाधा दूर करने वाले भगवान हैं। उनकी आरती से जीवन में आने वाले अवरोध दूर होते हैं और सफलता की राह खुलती है। आरती कर के लोग परीक्षा, नौकरी आदि के लिए गणेशजी से आशीर्वाद लेते हैं।
आरती में दीपक, फूल और अन्य धातुएं आस्था का प्रतीक हैं। यह भक्त और भगवान के बीच का एक पुल माना जाता है। पवित्र आरती परिवार को एकजुट करती है। सभी भजनों में शामिल होने से आराधना बढ़ती है।
गणेश चतुर्थी पर सामूहिक आरती करना उत्साह और खुशियों को बढ़ाता है। लोग मिलते हैं और सामूहिक जूथ में खुशियाँ बाँटते हैं। गणेशजी की आरती का हमेशा से भावनात्मक, आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व रहा है। मनुष्य के समग्र विकास में इसका लाभ देखने मिलता है।
हमें आशा है की गणपति आरती सम्बंधित अच्छी जानकारी दे पाए है। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।