यहाँ Surya Chalisa Lyrics PDF Hindi में डाउनलोड करने की सुविधा दी है। जिसकी सहायता से आप श्री सूर्य देव की पूजा कर सकते है। साथ ही टेक्स्ट फाइल में सूर्य देवजी की आरती भी शामिल है।
सूर्य चालीसा हिन्दू धर्म आधारित एक धार्मिक चालीसा है, जिसमें सूर्य देव की महिमा का वर्णन देखने मिलता है। आमतौर पर यह 40 श्लोको का संग्रह है। जिसे पढ़ कर सूर्य देव की कृपा एंव आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ध्यान दीजिये : यदि आप एक सूर्य भक्त है, तो यहाँ दी Shri Surya Chalisa PDF आपको बेहद काम आएगी।
Shri Surya Chalisa Lyrics PDF Hindi
PDF Name | Surya Chalisa |
Total Pages | 8 HD Quality |
PDF Size | 446 KB |
File Maker | Yuva Digest |
Location | Google Drive |
Provider | Sabsastaa |
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उपरोक्त दिए डाउनलोड बटन द्वारा आप सरलतापूर्वक श्री सूर्य चालीसा पीडीएफ फाइल को डाउनलोड कर सकते है। या चाहे तो निचे दी गयी संपूर्ण चालीसा और उससे सम्बंधित जानकारी देख लीजिये।
श्री सूर्य चालीसा लिरिक्स (Surya Chalisa Lyrics)
यहाँ सर्वप्रथम संपूर्ण सूर्य चालीसा है, फिर उसका महत्त्व समझाया है।
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥
॥ श्री सूर्य चालीसा ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर।
सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु! पतंग! मरीची! भास्कर।
सविता हंस! सुनूर विभाकर॥
विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर।
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी।
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर।
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै।
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै।
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह।
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई।
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते।
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन।
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते।
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वास करहु नित।
भास्कर करत सदा मुख कौ हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।
तिग्मतेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारण।
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर।
कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा।
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी।
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै।
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं।
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं॥
दरिद्र कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।
योजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता।
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गण ग्रसि न मिटावत जाही।
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुतजग में जाके।
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी।
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै।
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता।
कार्तिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।
पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
श्री सूर्य चालीसा की महत्वपूर्ण जानकारी
सूर्य चालीसा एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तुति है, जो सूर्य देवता को समर्पित है। यह चालिस श्लोकों द्वारा तैयार हुई है और श्री तुलसीदास जी को इनका लेखक माना जाता हैं। अपने जीवन में नित्य सूर्य चालीसा पढ़ने से बहुत से लाभ मिलते हैं।
सृष्टि का निर्माण और पालनहार श्री सूर्य देव के हाथ में हैं। जीवन उनकी कृपा से ही पैदा होता है और धरती पर रहता है। सूर्य की पूजा करने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं। सूर्य चालीसा पढ़ना आत्मबल को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा देता है।
इस चालीसा के प्रथम श्लोक में सूर्य देव को ब्रह्मांड का प्रकाश स्रोत बताया गया है। सूर्य को दूसरे श्लोक में बुद्धि और ज्ञान का प्रदाता बताया है। तीसरे श्लोक में सूर्य की किरणों का वर्णन है जो दुनिया को प्रकाशित करती हैं।
आगे के श्लोकों में सूर्य देव के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है और प्रत्येक रूप का महत्व दर्शाया है। सूर्य को देवता विष्णु का अवतार मानते हैं। सूर्य उपासना द्वारा शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। सूर्य चालीसा पढ़ने से बीमारी, दर्द और कष्ट दूर होते हैं और मन शांत रहता है।
नियमित रूप से सूर्य चालीसा पढ़ने से स्वास्थ्य लाभ, सकारात्मकता और आत्मबल में सुधार आता है। यह हमारे जीवन का उद्देश्य निर्धारित करने में भी मदद करता है। इन्ही कारणों की वजह से अधिकांश सूर्य भक्त सूर्य देव चालीसा पढ़ना पसंद करते है।
श्री सूर्य देव आरती लिरिक्स (Surya Dev Aarti Lyrics)
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान,
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा,
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी,
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते,
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते,
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते,
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार,
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं,
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल,
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान,
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा,
धरत सब ही तव ध्यान,
ॐ जय सूर्य भगवान…!!
श्री सूर्य चालीसा पूजा पाठ की विधि
एक सच्चे भक्त के लिए श्री सूर्य देवता की सही पूजा विधि समझना जरुरी है, जो निचे दर्शायी है।
- सूर्य देव की पूजा करने के लिए रविवार का दिन सबसे अच्छा और शुभ है।
- इस दिन सुबह जल्दी यानी सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान कर लीजिये।
- फिर साफ एंव सरल कपडे पहन कर खुद को पूजा के लिए तैयार करे।
- अब सूरज की पहली किरणों के सामने सूर्य देव को प्रणाम करें।
- तांबा लोटा से सूर्य देव को जल अर्पित करे और बोले ‘ॐ सूर्याय नमः’।
- अर्पित किए जाने वाले जल में लाल रोली या फूल मिला सकते है।
- अब एक आसन पर पूर्व दिशा में मुख कर के बैठ जाइये।
- फिर 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करते हुए देव को याद करे।
- सारी प्रक्रिया के बाद एक बार अंत में फिर से सूर्य देव को प्रणाम करे।
श्री सूर्य चालीसा पढ़ने के फायदे
निचे सूर्य देव की चालीसा द्वारा होने वाले सभी लाभ की जानकारी दर्शायी है।
- सूर्य देव की उपासना से मन को शांति और आत्मबल मिलता है।
- इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
- सूर्य चालीसा का पाठ करने से मानसिक तनाव दूर होता है।
- यह चालीसा सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है।
- इससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
- नकारात्मकता दूर हो कर बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- आलस्य दूर होकर मन में तेजस्विता आती है, जिससे कार्य जल्दी होता है।
- श्री सूर्य चालीसा आत्म-चिंतन और ध्यान के लिए प्रेरणा देती है।
- इसके पाठ से आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन में सफलता आती है।
आशा करता हु श्री सूर्य चालीसा सम्बंधित अच्छी जानकारी देने में सफल रहा हु। मिलते है अपनी नेक्स्ट पोस्ट में तब तक टेक केयर।